कांगड़ा की तंग गलियों में कैसे बुझे आग

बिमल बस्सी कांगड़ा धार्मिक नगरी कांगड़ा में अगर कोई अग्निकांड हो जाए तो आग पर कैसे का

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Apr 2021 05:00 AM (IST) Updated:Thu, 29 Apr 2021 05:00 AM (IST)
कांगड़ा की तंग गलियों में कैसे बुझे आग
कांगड़ा की तंग गलियों में कैसे बुझे आग

बिमल बस्सी, कांगड़ा

धार्मिक नगरी कांगड़ा में अगर कोई अग्निकांड हो जाए तो आग पर कैसे काबू पाया जाए, यह सवाल चिता का विषय है। शहर की तंग गलियों में दमकल विभाग की गाड़ियों का घटनास्थल पर पहुंचना असंभव हो जाता है। मुख्य बाजार में तो अग्निशमन विभाग की गाड़ी पहुंच सकती है लेकिन आग पर काबू पाने के लिए तंग गलियां रुकावट बन जाती हैं।

यूं तो शहर के विभिन्न हिस्सों में 16 फायर हाइड्रेंट स्थापित हैं। इसके अलावा एक फायर हाइड्रेंट दमकल विभाग के परिसर में भी स्थापित है लेकिन शहर की सड़कों पर बेतरतीब पार्किंग अग्निशमन विभाग की कार्रवाई में रोड़ा अटका सकती है। हालांकिसमय-समय पर प्रशासन व पुलिस विभाग बाजार में खड़े बेतरतीब वाहनों पर कार्रवाई करता है लेकिन गर्मियों का मौसम आते ही आगजनी की घटनाओं का डर सताने लगता है। कांगड़ा में बीते समय में हुए अग्निकांडों में हुए नुकसान का विचार आते ही शहरवासियों की रूह कांप उठती है। फायर सीजन के कारण यह चिता और भी बढ़ जाती है। हालांकि कांगड़ा का दमकल विभाग पहले की अपेक्षा अब आधुनिक मशीनों के साथ बेहतर ढंग से अग्निकांड से निपटने, शहर को सैनिटाइज करने व बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हर तीसरे महीने दमकल विभाग शहर में स्थापित फायर हाइड्रेंट में पानी की उपलब्धता को जांचता रहता है। कांगड़ा का अग्निशमन केंद्र सालभर में लगभग 100 आग की घटनाओं पर काबू करता आया है। बीते वर्ष कोरोना संकट के दौरान आगजनी की छुटपुट घटनाएं ही हुई हैं। दमकल विभाग के अनुसार जनवरी 2021 से अब तक 28 अग्निकांडों व आठ बचाव कार्यों में योगदान दिया है।

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अग्निशमन कर्मियों व वाहनों की व्यवस्था

कांगड़ा स्थित अग्निशमन उपकेंद्र में वर्तमान में 24 कर्मी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें एक फायर ऑफिसर, तीन महिला फायरमैन, सात फायरमैन तथा दो ड्राइवरों सहित आठ गृहरक्षक फायरमैन, चार नियमित ड्राइवर तथा एक चपरासी सेवाएं दे रहे हैं। दमकल विभाग के पास तीन बड़ी गाड़ियां और 300 लीटर पानी क्षमता वाली जीप है। बड़ी गाड़ियों में 9000, 4500 व 3500 लीटर पानी की व्यवस्था है।

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13 अप्रैल, 1999 में संभाला था अग्निकांडों से निपटने का जिम्मा

कांगड़ा में अग्निकांडों से निपटने के लिए वर्ष 1999 से पहले गृहरक्षक बचाव कार्यों को सभांलते थे। 13 अप्रैल, 1999 में कांगड़ा के उज्जैन क्षेत्र में किराये के भवन में अग्निशमन केंद्र की शुरुआत हुई थी। लगभग 20 वर्षों से अधिक समय किराये की इमारत में गुजारने के बाद आखिरकार कांगड़ा के बाइपास रोड पर विभाग को अपना भवन प्राप्त हो गया है। पहली सितंबर, 1999 से अग्निशमन उपकेंद्र ने नए भवन में काम करना शुरू कर दिया है।

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किसी भी अग्निकांड एवं आपदा से निपटने के लिए अग्निशमन विभाग मुस्तैद है। कहीं भी आग लगने पर अग्निशमन केंद्र को तुरंत सूचित कर घटनास्थल की सही लोकेशन, आग का रूप व इर्द-गिर्द मौजूद ज्वलनशील पदार्थो की सूचना अवश्य दें।

-अशोक कुमार राणा, फायर ऑफिसर अग्निशमन उपकेंद्र कांगड़ा।

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अब तक हुए अग्निकांड

-पहली जनवरी, 2020 को भडियाड़ा में स्वरूप सिंह का मकान जलने से भारी नुकसान हुआ।

-30 जनवरी, 2020 में कॉलेज रोड पर साइकिल गोदाम में लाखों का नुक्सान।

-21 जनवरी, 2019 को राजपूत सभा के सामने गर्ग मॉडवेयर रेडिमेड गारमेंट्स शोरूम में लाखों का नुकसान।

-18 अप्रैल, 2018 को राजपूत सभा के सामने रूद्रा फिटनेस जिम में आग से सब कुछ बर्बाद हो गया था।

-7 नवंबर, 2018 को बीरता स्थित होंडा एजेंसी में आग लगने से 75 स्कूटी जल गई थीं।

21 अप्रैल, 2017 को पुराना कांगड़ा में हुए अग्निकांड में मकान मालिक 75 वर्षीय ज्ञान चंद की जलने से मौत हो गई थी।

-5 मई, 2015 को मुख्य बाजार में कृष्णा स्टेशनरी गोदाम में आग लगी।

-1997 में मंदिर बाजार के नेहरू चौक में छह से अधिक दुकानें जलने से भारी नुकसान हुआ था।

-1977 में मुख्य बाजार में हुए अग्निकांड में 15 दुकानें व मकान जल गए थे।

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