हिमानी चामुंडा मंदिर के नजदीक प्राकृतिक पेयजल स्रोत सूखे

संवाद सहयोगी योल आदि हिमानी चामुंडा मंदिर में पानी की समस्या चुनौती बनकर रह गई है। मंदि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 09:09 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 09:09 PM (IST)
हिमानी चामुंडा मंदिर के नजदीक 
प्राकृतिक पेयजल स्रोत सूखे
हिमानी चामुंडा मंदिर के नजदीक प्राकृतिक पेयजल स्रोत सूखे

संवाद सहयोगी, योल : आदि हिमानी चामुंडा मंदिर में पानी की समस्या चुनौती बनकर रह गई है। मंदिर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन प्राकृतिक जल स्त्रोत जिसे लोग वगाल वां के नाम से जानते हैं भी सूख गया है। लोगो का मानना है कि ऐसा करीब 18 से 20 साल बाद हुआ है। अकसर इसी बावड़ी के बलबूते पर मंदिर के कर्मियों को आठ माह तक पानी मिल पाता है। वहीं मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को भी काफी हद तक पानी की आपूर्ति इसी बावड़ी से हो पाती है।

इसके अलावा मंदिर परिसर में ही एक प्राकृतिक झील भी है, उसमें भी इस बार पानी न के बराबर है, क्योकि इस बार बारिश और बर्फबारी भी कम ही हुई है, जो थोड़ा बहुत पानी है वह भी पीने योग्य नहीं है।

इस बार बड़ोई से मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर कुछ लोग दुकानें करते थे लेकिन बिना पानी के उन्होंने भी दुकानें बंद कर दी हैं। अंशुल, ऋषि, जिदो राम व सुरेंद्र जोकि काफी वर्षों से इस रास्ते पर दुकानें चला रहे थे का कहना है कि सधेहड़ व कुलटू में प्राचीन प्राकृतिक जल स्त्रोत सूखने से समस्या उत्पन्न हुई है।

उधर, हिमानी चामुंडा मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य के ठेकेदार पल्लव मेहरा ने बताया कि यदि इसी तरह जल स्त्रोतों में पानी न हुआ तो मंदिर पुनर्निर्माण कार्य भी प्रभावित हो सकता है। मंदिर परिसर में अनुमानित 32 लाख रुपये की लागत से प्रस्तावित पेयजल योजना भी अभी भी पिछले पांच सालों से ठंडे बस्ते में ही पड़ी है।

वहीं जल शक्ति मंडल धर्मशाला के अधिशाषी अभियंता सरवन ठाकुर ने बताया कि इस साल में ही मंदिर में पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

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