जेसीसी बैठक से पूर्व एसएमसी शिक्षकों ने सरकार स्थायी नीति बनाने की उठाई मांग, दिए ये तर्क
Himachal SMC Teachers हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार से मांग की है कि राज्य में कार्यरत एसएमसी पीरियड बेस्ड अध्यापकों की सेवाओं के लिए स्थायी नीति बनाई जाए। राज्य प्रधान नरेश महाजन महासचिव नरोत्तम वर्मा ने संयुक्त बयान में यह मांग उठाई है।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Himachal SMC Teachers, हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने सरकार से मांग की है कि राज्य में कार्यरत एसएमसी पीरियड बेस्ड अध्यापकों की सेवाओं के लिए स्थायी नीति बनाई जाए। संघ की राज्य कार्यकारिणी से राज्य प्रधान नरेश महाजन, महासचिव नरोत्तम वर्मा, राज्य वित्त सचिव परस राम, राज्य महिला विंग अध्यक्ष निशा मिश्रा, वरिष्ठ उपप्रधान अरुण पठानिया, सुरेश नरियाल, राकेश कुमार ने संयुक्त बयान में यह मांग उठाई है। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में विगत दस वर्षों से एसएमसी पीरियड बेसिस अध्यापक अपनी निरंतर सेवाएं दे रहे हैं। इन अध्यापको की नियुक्ति पूर्व में रही भाजपा सरकार की ओर से ही वर्ष 2012 में की गई।
तत्पश्चात सत्ता परिवर्तन हुआ तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने भी इसे आगे बढ़ाया और दूर दराज के उन स्कूलों में जहां नियमित अध्यापक जाने से मना करते थे, उन स्कूलों में इन अध्यापकों की तैनाती की गई। राज्य प्रधान नरेश महाजन ने बताया कि सबसे अहम विषय यह है कि इन अध्यापकों की नियुक्ति सिर्फ उन स्कूलों में की गई जो दो वर्षों से रिक्त पड़े हुए थे। इन अध्यापकों की नियुक्ति शिक्षा निदेशक तथा उप शिक्षा निदेशक की अनुमति से की गई। इन शिक्षकों का चयन एसडीएम की अध्यक्षता में बनी कमेटी, जिसमें विषय विशेषज्ञ के साथ साथ स्कूल के प्रधानाचार्य बतौर सचिव तथा एसएमसी अध्यक्ष को रखा गया था। सभी एसएमसी शिक्षकों की नियुक्ति आरएंडपी नियमों के तहत हुई है जिसमें सभी शिक्षक टेट पास रखे गए हैं।
एसएमसी अध्यापकों से पूर्व भी हजारों अस्थायी भर्तियां पूर्व में रही सरकारों ने प्रदेश में की है। जिनमें सहायक अध्यापक, तदर्थ अध्यापक, टेन्योर अध्यापक, विद्या उपासक, ग्रामीण विद्या उपासक, पीटीए अध्यापक, प्राथमिक सहायक अध्यापक, पैरा अध्यापक उर्दू और पंजाबी पीरियड बेसिस अध्यापक, तकनीकी कालेज में स्टूडेंट वेलफेयर फंड से रखे अध्यापक इन अध्यापकों की नियुक्ति समय समय पर सरकारों ने की है। उपरोक्त सभी श्रेणियों के अध्यापकों को सरकार ने स्थाई नीति के अंतर्गत लाकर बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किया हैं। जिसके लिए सरकार की सराहना की जाती हैं। एसएमसी अध्यापकों की पालिसी को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी सही ठहराया है। अब सरकार को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाकर इन अध्यापकों को राहत प्रदान करनी चाहिए।