स्कूल खुलने के बाद बच्चों का कोरोना संक्रमण की चपेट में आना चिंताजनक
Himachal Schools News हिमाचल के स्कूलों में शासन-प्रशासन की ओर से दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करवाया जाना चाहिए। स्कूलों को लगातार सैनिटाइज किया जाना चाहिए। लोगों को इस महामारी को अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। बच्चों की चिंतावैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ा है। लंबे समय तक स्कूल बंद रहे और आनलाइन पढ़ाई का नया विकल्प लोगों के सामने आया। अब महामारी थोड़ी नियंत्रण में आई है तो स्कूल-कालेज विद्यार्थियों के लिए खोले जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में भी आठवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को स्कूलों में नियमित कक्षाएं लगवाने के लिए बुलाया जा रहा है। स्कूल खुलने के बाद विद्यार्थियों के कोरोना की चपेट में आने की दर में वृद्धि आई है, जो चिंता बढ़ाने वाली है। प्रदेश में 27 सितंबर को आठवीं से जमा दो कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुले थे। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 24 अक्टूबर तक 556 बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। लगभग हर जिले में विद्यार्थी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं।
कांगड़ा जिले के स्लेटी स्कूल की एक छात्र की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। इसका एक कारण यह भी है कि किसी न किसी स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। स्कूल खोलने व उसके बाद स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग समय-समय पर विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए निर्देश जारी कर रहे हैं। मास्क का प्रयोग करने और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए कहा गया है। स्कूलों में हैंड सैनिटाइजर की व्यवस्था और थर्मल स्कैनिंग का भी निर्देश दिया गया है। अभिभावकों से भी कहा गया है कि अगर बच्चे की तबीयत सही नहीं है तो उसे स्कूल न भेजें। स्कूल में बच्चे के कोरोना संक्रमित पाए जाने पर एहतियात के तौर पर स्कूल को दो दिन तक बंद करने का प्रविधान है। लेकिन विद्यार्थियों के संक्रमण की चपेट में आने से लगता है कि इन निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। सुखद है कि सिरमौर जिले में अब तक एक भी विद्यार्थी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है। स्कूलों को लंबे समय तक बंद नहीं रखा जा सकता, इसलिए जरूरी है कि हर स्तर पर सतर्कता बरती जाए।