छात्रवृत्ति घोटाला: 265 करोड़ के घोटाले में 10,516 फाइल खंगाल रही सीबीआइ, नए दस्तावेज किए सीज

Himachal Scholarship Scam हिमाचल प्रदेश में हुए 265 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ 10516 फाइल 47 हार्डडिस्क सैकड़ों दस्तावेजों कुछ सीडी और पेन ड्राइव के डाटा को बारीकी से खंगाल रही है। इनमें से एक तिहाई रिकार्ड की भी छानबीन पूरी नहीं हो पाई है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 06:18 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 10:15 AM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाला: 265 करोड़ के घोटाले में 10,516 फाइल खंगाल रही सीबीआइ, नए दस्तावेज किए सीज
हिमाचल प्रदेश में हुए 265 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ बारीकी से खंगाल रही है।

शिमला, रमेश सिंगटा। Himachal Scholarship Scam, हिमाचल प्रदेश में हुए 265 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआइ 10,516 फाइल, 47 हार्डडिस्क, सैकड़ों दस्तावेजों, कुछ सीडी और पेन ड्राइव के डाटा को बारीकी से खंगाल रही है। इनमें से एक तिहाई रिकार्ड की भी छानबीन पूरी नहीं हो पाई है। सूत्रों के अनुसार कुछ नए दस्तावेजों को भी सीज किया गया है, जिससे फाइल व रिकार्ड का भार और बढ़ गया है। रिकार्ड इतना ज्यादा है कि इसकी छंटनी करने में अभी और माह लग जाएंगे। इसे देखते हुए इसे संस्थानवार अलग किया जा रहा है। इस रिकार्ड के आधार पर जांच हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, जम्मू- कश्मीर, पंजाब में हो रही है।

अब आरोपितों से पूछताछ का सिलसिला आरंभ होगा। अभी जिन संस्थानों की जांच चल रही है, उनमें आइटीएफटी संस्थान चंडीगढ़, हिमाचल ग्रुप आफ प्रोफेशनल इंस्टीट््यूट काला अंब, सुखजिंदर ग्रुप गुरदासपुर, पठानकोट, विद्या ज्योति डेराबस्सी और दोआबा इंस्टीट्यूट खरड़ नजदीक चंडीगढ़ शामिल हैं। आरोप है कि इन संस्थानों ने मेधावी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति हड़प ली। घोटाले को सबसे पहले दैनिक जागरण ने उठाया था।

सात मई, 2019 से हो रही है जांच

सीबीआइ ने सात मई, 2019 में शिमला ब्रांच में केस दर्ज किया था। तब से इसकी जांच हो रही है। इससे पहले शिमला पुलिस ने थाना छोटा शिमला में 16 नवंबर, 2018 में केस दर्ज किया था।

इन पर हो गई कार्रवाई

घोटाले को लेकर अब तक तीन चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हो चुकी है। पहली चार्जशीट में भी वही मुख्य आरोपित था। जिन आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई, उनमें शिक्षा विभाग के अरङ्क्षवद राजटा, माला मेहता, श्रीराम शर्मा, सुरेंद्र मोहन कंवर,अशोक कुमार, केसी ग्रुप आफ इंस्टीटयूट के हितेश गांधी, प्रेमपाल गांधी, सरोज शर्मा, किरण चौधरी, बैंक कर्मी सुरेंद्र पाल सिहं, एक अन्य कंप्यूटर संस्थान के सुनील कुमार शामिल हैं। दूसरी चार्जशीट पंजाब के नवांशहर स्थित केसी ग्रुप आफ इंस्ट्रीट््यूट के खिलाफ थीं। इसमें हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग के तत्कालीन कर्मचारियों, बैंक आफ इंडिया के कर्मचारी, इस निजी संस्थान के कर्ताधर्ताओं समेत कुल 11 व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया। इस चार्जशीट में शिक्षा विभाग का तत्कालीन अधीक्षक अरविंद राजटा मुख्य आरोपित हैं। तीसरी चार्जशीट राष्ट्रीय संस्थान यानी नाइलेट के खिलाफ शिमला में चार्जशीट दाखिल की है। इसमें कुल 12 व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया है। हिमाचल में 8800 छात्रों के नाम पर करोड़ों की राशि हड़पने वाले नाइलेट के 9 फर्जी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ एक ही चार्जशीट बनाई गई थी।

क्या है मामला

2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेज के आधार छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप में हुई है।

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