जिन्कगो बाइलोबा की खेती के लिए होंगे प्रयास

संवाद सहयोगी पालमपुर सीएसआइआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने क्षेत्रीय सह स

By JagranEdited By: Publish:Fri, 02 Apr 2021 02:01 AM (IST) Updated:Fri, 02 Apr 2021 02:01 AM (IST)
जिन्कगो बाइलोबा की खेती के लिए होंगे प्रयास
जिन्कगो बाइलोबा की खेती के लिए होंगे प्रयास

संवाद सहयोगी, पालमपुर : सीएसआइआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने क्षेत्रीय सह सुविधा केंद्र, उत्तरी क्षेत्र, भारतीय चिकित्सा प्रणाली अनुसंधान संस्थान आयुष मंत्रालय जोगिद्रनगर, आरसीएफसी के साथ एक सामग्री हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत सीएसआइआर-आइएचबीटी राष्ट्रीय पोषण पखवाड़ा अभियान के तहत हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा के भरमौर और पांगी विकास खंडों के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जिन्कगो बाइलोबा पौधे प्रदान करेगा।

भरमौर में 144 और पांगी में 66 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इसके अलावा दोनों पक्ष जिन्कगो बाइलोबा से मूल्य वर्धित उत्पादों से संबंधित सह विकास परियोजना पर भी कार्य करेंगे। सीएसआइआर-आइएचबीटी ने इसके प्रबंधन और बड़े पैमाने पर खेती के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की है।

सीएसआइआर-आइएचबीटी निदेशक डा. संजय कुमार और आरसीएफसी क्षेत्रीय निदेशक डा. अरुण चंदन सहित सीएसआइआर-आइएचबीटी के विज्ञानी डा. प्रोबीर कुमार पाल, डा. शशि भूषण और डा. सुखजिद्र सिंह, प्रशासन नियंत्रक आलोक शर्मा और वित्त एवं लेखा अधिकारी यशपाल भी सामग्री हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के दौरान मौजूद रहे। वहीं, संस्थान निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि फोसल प्लांट आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरण का प्रदेश में पहला प्रयास सीएसआइआर की ओर से है। यह पौधा एक औषधीय पौधा है जो कि काफी गुणकारी भी है। यह है जिन्कगो बाइलोबा पौधा

जिन्कगो बाइलोबा सबसे पुराना औषधीय पौधा है। यह पौधा अल्जाइमर के खतरे से बचाने, स्मृति और एकाग्रता बढ़ाने और त्वचा की एलर्जी को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह भी पहल की गई है कि इस पौधे को जिला चंबा में भी विकसित किया जा सके।

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