हिमाचल का ऐसा मंदिर जहां मीठा प्रसाद ही नहीं खट्टे की भी है खास अहमियत, मंदिर मार्ग पर लगते हैं स्‍टाल

Jayanti Mata Temple जयंती माता के मंदिर में हर साल लगने वाले मेलों में खट्टे का व्यंजन बहुत लोकप्रिय है। पंचभीष्म मेले के दौरान (दड़ुंज) खट्टे का व्यंजन मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को खिलाया जाता है। लेकिन इस बार प्रशासन ने इस पर रोक लगा रखी है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 11:52 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 11:52 AM (IST)
हिमाचल का ऐसा मंदिर जहां मीठा प्रसाद ही नहीं खट्टे की भी है खास अहमियत, मंदिर मार्ग पर लगते हैं स्‍टाल
जयंती माता के मंदिर में हर साल लगने वाले मेलों में खट्टे का व्यंजन बहुत लोकप्रिय है।

कांगड़ा, जेएनएन। जयंती माता के मंदिर में हर साल लगने वाले मेलों में खट्टे का व्यंजन बहुत लोकप्रिय है। पंचभीष्म मेले के दौरान (दड़ुंज) खट्टे का व्यंजन मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को खिलाया जाता है। लेकिन इस बार कोविड-19 महामारी के कारण मंदिर मार्ग पर कहीं भी कोई खट्टे व्यंजन अथवा अन्य खाने पीने वाली दुकानों सहित लंगर संचालन पर प्रशासन ने रोक लगा रखी है। गौरतलब है कि जयंती माता का मंदिर प्रदेश का इकलौता स्थान जहां पर खट्टे व्यंजन परोसे जाते हैं। यह भी बता दें कि जयंती माता के मेलों के दौरान मां के दरबार में पहुंचने से पहले रास्ते में दडूंज व आंवले की बिक्री काे लेकर कई जगह छोटी छोटी दुकानें भी सजाई जाती थीं।

मंदिर जाने से पहले कुछ तो खट्टे के चटखारे लेते थे ताे कई मंदिर में दर्शन करने के बाद लौटने पर इसका जायका लेते थे। लेकिन अबकी बार यह जायका नहीं है, क्योंकि कोविड महामारी भी सामने है। खट्टे के चटखारों के साथ इस बार मंदिर परिसर के आसपास कहीं पर कोई छोटी मोटी दुकानदारी भी है।

बड़ी बात यह है कि पांच दिन तक चलने वाले इन मेलों को लेकर सड़कों के किनारे लंगर लगाने की भी पूरी तरह से मनाही है। अब यहां पर भीड़ ही नहीं है तो खट्टे की दुकानें भी कहीं पर नहीं हैं। कुछ एक दुकानें रास्ते मे खट्टा खिलाने को लेकर सजी भी हैं पर इनमें भी भीड़ न के बराबर ही है।

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