हिमाचल प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ ने मानदेय को लेकर जताया रोष

हिमाचल प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ मानदेय को लेकर चिंतित है और अतिरिक्त कार्य को सौंपे जाने के प्रति भी रोष है। एक अगस्त से 31 अगस्त 2021 तक एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलेगा तो उसमें आशा वर्कर्स को 30 घरों का सर्वे करने होंगे।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 11:06 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 11:06 AM (IST)
हिमाचल प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ ने मानदेय को लेकर जताया रोष
हिमाचल प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ मानदेय को लेकर चिंतित है।

भदरोआ, संवाद सूत्र। हिमाचल प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ मानदेय को लेकर चिंतित है और अतिरिक्त कार्य को सौंपे जाने के प्रति भी रोष है। एक अगस्त से 31 अगस्त 2021 तक एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलेगा तो उसमें आशा वर्कर्स को 30 घरों का सर्वे करने होंगे। जिसमें 150 की पापुलेशन का सर्वे करना होगा और फिर उसी सर्वे को ऑनलाइन भी करना होगा। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जो यह बंदिशें लगाई गई है। इससे सभी आशा वर्कर्स में बहुत ज्यादा रोष है।

हिमाचल प्रदेश आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष सुमना देवी का कहना है कि उनको हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों की आशा वर्कर्स के फोन काल आए हैं और सभी बहनों का यही कहना है कि हमें स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो भी कार्य सौंपे जाते हैं वह पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ उन कार्यों को पूरा करती हैं। मगर सरकार काम के हिसाब से कभी भी दाम नहीं देती है। सभी आशा काम करने को तैयार हैं मगर सरकार को भी चाहिए कि आशा वर्कर्स का मानदेय तो बढ़ाए क्योंकि आशा वर्कर्स का भी तो घर परिवार है।

एक मजदूर को भी 400 रुपये दिहाड़ी मिलती है तो आशा को तो मात्र 66 रुपये दिहाड़ी दे सरकार दे रही है। मात्र 60 रुपये की दिहाड़ी से कितने सारे काम आशा वर्कर्स से लिए जा रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही तो यह जो एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चलेगा इसमे मात्र 100 रुपये सर्वे करने और ऑनलाइन करने के दिए जाएंगे। जब सरकार ही आशा वर्कर्स का शोषण कर रही हैं तो बाकी अधिकारी भी तो सरकार की देखा देखी में ही आशा वर्कर्स का शोषण कर रहे हैं।

समूचे प्रदेश की आशा वर्कर्स की सरकार से बस यही गुजारिश है कि एसीएफ की इन बंदिशों को हटाया जाए। कोविड-19 वैक्सीनेशन में भी आशा को सरकार की तरफ से कोई भी प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही। ओर न ही 750 जो सरकार ने तीन, चार बार घोषणा की है वो बड़े हुए पैसे भी अभी तक आशा वर्कर्स को नहीं मिले हैं और न ही अप्रैल, मई में जो आशाओं को कोविड-19 के चलते कामो के दोनों महीनों के 3000 रुपये दिए जाने थे वो भी अभी तक नहीं दिए गए ओर सरकार घोषणा ही करती है।

धरातल पर लागू तो एक साल के बाद ही करती है और वो भी बिना किसी एरियर के सस्ते में काम आशा से ही लिया जा रहा है। सरकार इस अफसरशाही को बंद करें। एक सम्मान काम और एक सम्मान दाम दें।

आशा वर्कर्स को भी 2003 में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि सभी कर्मचारियों को एक सम्मान काम के हिसाब से एक सम्मान मासिक न्यूनतम वेतन 18000 रुपये दिया जाएगा तो सरकार इस घोषणा को जल्द से जल्द लागू करे।

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