हिमाचल उपचुनाव: चुनाव प्रचार के साथ नेताओं में जुबानी जंग भी हुई तेज, जुब्‍बल कोटखाई से फतेहपुर तक बरपा हंगामा

Himachal By Elections हिमाचल में उपचुनाव के प्रचार के अंतिम 10 दिन में नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। नेता एक-दूसरे पर अब निजी आरोप भी लगाने लगे हैं। जुब्बल कोटखाई से लेकर फतेहपुर में नेताओं की जुबानी जंग चर्चा में है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 09:50 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 09:50 AM (IST)
हिमाचल उपचुनाव: चुनाव प्रचार के साथ नेताओं में जुबानी जंग भी हुई तेज, जुब्‍बल कोटखाई से फतेहपुर तक बरपा हंगामा
हिमाचल में उपचुनाव के प्रचार के अंतिम 10 दिन में नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।

शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal By Elections, हिमाचल में उपचुनाव के प्रचार के अंतिम 10 दिन में नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। नेता एक-दूसरे पर अब निजी आरोप भी लगाने लगे हैं। जुब्बल कोटखाई से लेकर फतेहपुर में नेताओं की जुबानी जंग चर्चा में है। जुब्बल कोटखाई में भाजपा में आम कार्यकर्ता को टिकट दिया है, पूर्व मंत्री के बेटे का टिकट काटा है, यहां पर उन पर ज्यादा हमले हो रहे हैं। वहीं, अर्की में भी सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह को भी निशाना बनाया जा रहा है। अब तो भाजपा की ओर से यह भी कहा जाने लगा कि पिछली बार के विधायक कितनी बार क्षेत्र में आए। कितना विकास करवाया, इस पर भी गौर कर जनता को मतदान करना चाहिए। वहीं बड़े नेता तो पहले ही एक दूसरे के खिलाफ खुले रूप से बोलने लगे हैं।

कांग्रेस पार्टी सरकार पर चार साल में कोई भी काम न करने का आरोप लगा रही है। इसमें सीधे तौर पर मुख्यमंत्री जयराम को घेरा जा रहा है। वहीं, भाजपा की ओर से अब तो यह तक कहा जा रहा है कि जमानत पर कौन है, कौन पांच दिल्ली दौरे के दौरान कोर्ट के चक्कर लगाता रहा। कांग्रेस की ओर से चार साल के कार्यों पर श्वेत पत्र मांगा जा रहा है। भाजपा मूल रूप से इस काम के लिए संगठन के नेताओं को आगे कर रही है और कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष से लेकर पार्टी के अध्यक्ष सीधा हमला कर रहे हैं।

हालांकि पहले चुनाव प्रचार धीमी गति से शुरू हुआ, लेकिन जैसे प्रचार ने रफ्तार पकड़ी है, वैसे ही राजनीतिक जंग भी तीखी हो रही है। इसमें एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। उपचुनाव में यह भी माना जा रहा था कि बड़े नेताओं के निधन के बाद यह चुनाव करवाने पड़ रहे हैं तो शायद चुनाव में गरिमा को बचाए रखने के लिए निजी आरोपों से नेता भी परहेज ही करेंगे।

लेकिन राजनीति में बिना आरोपों के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करना शायद मुश्किल होता है, इसलिए चुनावी सरगर्मी सिर पर चढ़ते ही नेताओं के बोल भी बिगडऩे लग जाते हैं। हालांकि पहले तो भाजपा ने प्रतिभा सिंह के फौजियों पर दिए बयान को लेकर काफी समय तक घेरे रखा। अब भाजपा सीधे तौर पर प्रत्याशियों से लेकर संगठन पर हमला कर रही है।

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