हिमाचल उपचुनाव: किस करवट बैठेंगे कर्मचारी वोटर रहेगा दिलचस्प, ढाई लाख कर्मियों की भूमिका अहम
Himachal Employee Voters ऐसा कहते हैं कर्मचारी सरकार की रीढ़ होते हैं। यदि सही मायनों में ऐसा है तो पिछले तीन दशक से सत्तारूढ़ सरकार लगातार दूसरी बार जीत नहीं पाई। पहली बार प्रदेश में कोविड-19 के बीच में नई परिस्थितियों में उपचुनाव हो रहे हैं।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Himachal Employee Voters, ऐसा कहते हैं कर्मचारी सरकार की रीढ़ होते हैं। यदि सही मायनों में ऐसा है तो पिछले तीन दशक से सत्तारूढ़ सरकार लगातार दूसरी बार जीत नहीं पाई। पहली बार प्रदेश में कोविड-19 के बीच में नई परिस्थितियों में उपचुनाव हो रहे हैं। लोग एक नए व्यवहार में जीवन की कड़वाहटों को पीछे छोड़कर नई शुरुआत कर रहे हैं। ऐसे में चार उपचुनाव में कर्मचारी किस करवट बैठेंगे, क्योंकि राजनीतिक आचार-विचार में भी बदलाव आया है।
सरकारी व सार्वजनिक उपक्रम में सेवारत ढाई लाख कर्मचारियों को सरकार से वित्तीय लाभ मिलने की आस है। मौजूदा सरकार में इक्कीस फीसद अंतरिम राहत मिलने से सेवानिवृत्त कर्मचारी खुश हैं या नहीं, चुनावी नतीजे इसका प्रमाण देंगे। पर्वूवर्ती कांग्रेस सरकार से कर्मचारियों को क्या मिला और वर्तमान सरकार क्या कुछ देने में सफल हो सकी, यह चुनाव के नतीजों में झलकेगा। मौजूदा सरकार ने कर्मचारियों को खुश रखने का प्रयास किया है। लेकिन कुछ कर्मी वर्ग नाराज भी है।
कांग्रेस ने पांच वर्ष में क्या दिया
पिछली कांग्रेस सरकार ने सत्ताकाल में कर्मचारियों को केवल दो फीसद महंगाई भत्ता दिया था। यह महंगाई भत्ता भी कर्मचारियों की राज्यस्तरीय संयुक्त समन्वय समिति की बैठक में घोषित किया गया था। इसके अलावा भी कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों का ख्याल रखा था।
भाजपा सरकार से क्या मिला
प्रदेश के कर्मचारियों को सरकार ने छह फीसद महंगाई भत्ता प्रदान किया। महंगाई भत्ते की यह किश्त सरकार ने अगस्त में घोषित की और सितंबर में कर्मचारियों को प्राप्त हुई। इसके अतिरिक्त सेवानिवृत कर्मियों को 21 फीसद अंतरिम राहत प्रदान की गई।
बजट में घोषित छठा वेतन आयोग
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में कर्मचारियों को छठा वेतन आयोग देने की घोषणा की थी। इंतजार पंजाब सरकार का हो रहा था और अब सरकार का वित्त विभाग वित्तीय लाभ देने संबंधी औपचारिकताओं को पूरा करने में जुटा हुआ है। लेकिन यह इंतजार लगातार लंबा खिंचता जा रहा है।