सुविधाओं में कमी पर हाईकोर्ट ने तलब किए एचपीयू के कुलपति व रजिस्ट्रार

प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला के कुलपति प्रो. सिकंदर व रजिस्ट्रार को जवाहर लाल नेहरू कॉलेज ऑफ फाइन आट्र्स शिमला में सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी से संबंधित मामले में व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष उपस्थित रहने का आदेश दिया है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:26 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:26 PM (IST)
सुविधाओं में कमी पर हाईकोर्ट ने तलब किए एचपीयू के कुलपति व रजिस्ट्रार
शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट। जागरण आर्काइव

शिमला, विधि संवाददाता। प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला के कुलपति प्रो. सिकंदर व रजिस्ट्रार को जवाहर लाल नेहरू कॉलेज ऑफ फाइन आट्र्स शिमला में सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी से संबंधित मामले में व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष उपस्थित रहने का आदेश दिया है। उन्हें नौ अगस्त को कोर्ट में तलब किया गया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह आदेश जेएलएन कालेज आफ फाइन आट्र्स शिमला के छात्रों विद्यार्थियों की ओर से मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र पर स्वत: संज्ञान लिए जाने वाली याचिका की सुनवाई के बाद दिया। पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश सरकार ने मई 2015 में डिग्री कालेज चौड़ा मैदान शिमला के पांच कमरों में जवाहर लाल नेहरू कालेज आफफाइन आट्र्स शुरू किया। उक्त कालेज से लगभग 143 छात्र बीएफए की पढ़ाई कर रहे हैं। उन छात्रों ने आरोप लगाया है कि कालेज में अनुभवी शिक्षक, उचित बुनियादी ढांचा, यानी प्रयोगशालाएं, कार्यशालाएं आदि नहीं हैं। उन्होंने अन्य विश्वविद्यालयों के साथ अपने पाठ्यक्रम की गैर-संगतता और उनके परिणामों की घोषणा न करने की शिकायत भी की है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि शिमला के पास ही कालेज को पर्याप्त जमीन दी गई है लेकिन ऐसा लगता है कि कॉलेज प्राधिकरण प्रस्तावित क्षेत्र में कालेज को स्थानांतरित करने के लिए इच्छुक नहीं है।

आइजीएमसी में मरीजों की कैंटीन के आवंटन पर रोक

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आइजीएमसी) शिमला में मरीजों को खाना वितरण करने वाली कैंटीन के आवंटन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया में पाया कि उक्त कैंटीन का आवंटन नियमों के विपरीत किया जा रहा है। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई।

प्रार्थी यदुपति ठाकुर द्वारा दायर याचिका के अनुसार आइजीएमसी शिमला में मरीजों के लिए खाना वितरण करने वाली कैंटीन का आवंटन नियमों के विपरीत हुआ है। आरोप है कि जो कैंटीन आवंटित की गई है वह अधिकतम मूल्य पर आवंटित की गई है। इससे सरकारी राजकोष पर अवांछित भार पड़ेगा। प्रार्थी के अनुसार कैंटीन आवंटन की प्रक्रिया 2020 में पूरी कर दी गई थी जबकि इस बाबत वित्तीय स्वीकृति फरवरी 2021 में ली गई। प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि इस पूरी निविदा में एक व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने की प्रशासन द्वारा कवायद की गई है। प्रार्थी ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस आवंटन प्रक्रिया को अवैध घोषित कर रद किया जाए।

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