आवास आवंटन में बंदरबांट पर हाईकोर्ट की फटकार
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला ने कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास आवंटन में बंदरबांट करने पर प्रदेश की नौकरशाही को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार के जीएडी विभाग के सचिव को अदालत में तलब किया।
शिमला, विधि संवाददाता। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला ने कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास आवंटन में बंदरबांट करने पर प्रदेश की नौकरशाही को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार के जीएडी विभाग के सचिव को अदालत में तलब किया।
प्रदेश सरकार में आयुर्वेद विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव की सिफारिश पर उनके चालक को सरकारी आवास आवंटित कर दिया, जबकि प्रार्थी सुमित शर्मा के आवेदन पर गौर नहीं किया। यह मामला शनिवार को न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था। अदालत को बताया गया कि सुमित शर्मा ने आवंटित आवास को बदलने के लिए जीएडी विभाग के पास आवेदन मार्च 2021 में दिया था, जिस पर विभाग का कहना है कि जिस आवास के आवंटन के लिए प्रार्थी ने आवेदन दिया है वह अप्रैल 2022 में खाली होगा और इस पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। वहीं, दूसरी ओर यही आवास चमन लाल नामक चालक को अगस्त 2021 में आवंटित कर कर दिया, क्योंकि यह आवास पहले वाले कर्मी ने खाली कर दिया था।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत ली सूचना में यह जानकारी सामने आई कि चमन लाल को आवास आवंटित करते समय प्रार्थी के आवेदन को नजरअंदाज किया गया और आयुर्वेद विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव के आग्रह पर यह आवास आवंटित किया गया है। प्रार्थी ने यह जानकारी अदालत के समक्ष अपनी याचिका के साथ दी है। हाईकोर्ट ने इन दस्तावेजों को देखने के बाद मामले को गंभीरता से लिया और सचिव जीएडी को तलब किया और खुली अदालत में विभाग की ओर से आवास आवंटन पर सरकार द्वारा अपनाई जा रही भेदभावपूर्ण नीति पर कड़ी टिप्पणी भी की। अदालत ने मामले की सुनवाई आगामी आठ दिसंबर को निर्धारित की और सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।