प्रशांत के बलिदान पर आसमां भी रोया, पार्थिव देह गांव पहुंचते ही जमकर बरसे मेघ; दस साल पहले भी हुआ था ऐसा

Martyr Prashant Thakur जम्मू कश्मीर के बारामुला में शहीद हुए श्रीरेणुकाजी क्षेत्र ठाकर गवाना के प्रशांत ठाकुर की शहादत पर लगातार तीन दिनों से जिला में अंबर भी जमकर बरसा।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 04:43 PM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 04:43 PM (IST)
प्रशांत के बलिदान पर आसमां भी रोया, पार्थिव देह गांव पहुंचते ही जमकर बरसे मेघ; दस साल पहले भी हुआ था ऐसा
प्रशांत के बलिदान पर आसमां भी रोया, पार्थिव देह गांव पहुंचते ही जमकर बरसे मेघ; दस साल पहले भी हुआ था ऐसा

नाहन, राजन पुंडीर। जम्मू कश्मीर के बारामुला में शहीद हुए श्रीरेणुकाजी क्षेत्र ठाकर गवाना के प्रशांत ठाकुर की शहादत पर लगातार तीन दिनों से जिला में अंबर भी जमकर बरसा। पिछले कई दिनों के सूखे के बाद मंगलवार से शुरू हुई बारिश वीरवार को पार्थिव देह के गांव में पहुंचने पर और तेज हो गई। इस दौरन ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रशांत की शहादत पर आसमां भी रो पड़ा।

ठीक इसी तरह का एक मंजर 10 वर्ष पहले पच्छाद उपमंडल की मानगढ़ पंचायत में नौ सितंबर 2010 को भी सामने आया था। जब श्रीनगर के पट्टन में आतंकवादियों के एक हैंड ग्रेनेड हमले में कई जवान शहीद हो गए थे। इसमें मानगढ़ निवासी राजेश ठाकुर जो 11 ग्रेनेडियर्स यूनिट का जवान था, वह भी शहीद हो गया था। जब श्रीनगर से पार्थिक देह लेकर सेना का चौपर रवाना हुआ था, उस दिन भी आज ही की तरह अंबर से जमकर बरसात हुई। देर शाम को मानगढ़ पहुंची शहीद राजेश ठाकुर की पार्थिव देह का सूर्य अस्त होने के चलते उस दिन भी अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। फिर अगले दिन तडक़े ही सेना के जवानों ने शहीद राजेश ठाकुर को सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी थी।

ठीक 10 वर्ष के बाद बुधवार को भी ऐसी ही स्थिति जिला सिरमौर की ठाकर गवाना गांव में रही। सोमवार देर रात को शहीद हुए प्रशांत ठाकुर की पार्थिव देह भी तीसरे दिन घर पहुंची। बुधवार देर शाम को एयरक्राफ्ट श्रीनगर से तीन शहीदों की पार्थिव देह लेकर जौली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून पंहुचा था। वहीं वीरवार दोपहर गांव में जहां मातम का माहौल था। वही रिश्तेदार व ग्रामीण एक नजर से गांव के रास्ते की ओर टकटकी लगाए हुए थे, वीरवार दोपहर बाद ग्रामीणों अपने शहीद बेटे के अंतिम दर्शन कर सके।

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