President Himachal Visit : राज्यपाल आर्लेकर ने दिया बड़ा संदेश, वादे-वादे जायते तत्वबोध:
सबका भाषण अच्छा था लेकिन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सब से कम समय लेते हुए ऐसे बिंदु उभारे कि वह पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों के लिए बड़ा संदेश है। राज्यपाल ने संदेश दिया कि वह पाते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार सबको बोलने का अवसर देते हैं।
शिमला, राज्य ब्यूरो। सबका भाषण अच्छा था लेकिन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सब से कम समय लेते हुए ऐसे बिंदु उभारे कि वह पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों के लिए बड़ा संदेश है। राज्यपाल ने यह संदेश भी दिया कि वह विधानसभा की कार्यवाही को टीवी पर देखते रहते हैं और पाते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार सबको बोलने का अवसर देते हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में आए दिन बनने वाले बहिर्गमन के वातावरण और संसद में भी काम न होने देने की प्रवृत्ति पर राज्यपाल ने एक सूक्ति के माध्यम से अपनी बात रखी। उन्होंने संसद को देश और विधानसभा को प्रदेश का सबसे बड़ा लोकतंत्र का मंदिर बताते हुए कहा कि हमारी परंपरा जायते-जायते तत्वबोध: की है यानी चर्चा करने से तत्व का बोध होता है। लेकिन जब चर्चा का लक्ष्य भटक जाए तो वह जायते-जायते कंठ शोष: हो जाता है यानी चर्चा तो हो रही है लेकिन गला सूख रहा है, तत्व की प्राप्ति नहीं हो रही है। राज्यपाल के संबोधन की प्रशंसा राष्ट्रपति ने भी की और कहा कि उन्होंने सारगॢभत वक्तव्य से यह भी बताया है कि वह विधानसभा की कार्यवाही पर कितनी बारीक नजर रखते हैं। बकौल राष्ट्रपति, इसका एक कारण यह भी है कि वह गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों की अपनी संस्कृति, वेशभूषा और रीति रिवाज हैं। हमें इस विविधता को सम्मान के साथ आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। लोगों में यह विश्वास जाना चाहिए कि उनकी बात और विचार रखने वाला कोई प्रतिनिधि है। उन्होंने हिमाचल की उन सभी महान विभूतियों को भी नमन किया जिन्होंने प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व दिलवाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रदेशवासी उन सभी निर्माताओं को नमन करते हैं जिन्होंने हिमाचल का अलग राज्य के रूप में सपना देखा था। हिमाचल ने पहाड़ी राज्य होने के बावजूद विकास के कई आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने प्रदेश के विकास में अहम योगदान देने के लिए प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार का भी स्मरण किया।