बागवानों को सेब का समर्थन मूल्‍य देने के लिए सरकार ने झेला करोड़ों रुपये का घाटा, पढ़ें खबर

Himachal Apple Seasonसेब बागवानों को समर्थन मूल्य देने के लिए सरकार ने घाटा झेल लिया। हिमफेड ने कम गुणवत्ता वाला यानी सी ग्रेड सेब 32 करोड़ में खरीदा और 10 करोड़ में बेच दिया। न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत 9.50 रुपये प्रतिकिलो इसकी खरीद की गई थी।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 06:45 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 07:55 AM (IST)
बागवानों को सेब का समर्थन मूल्‍य देने के लिए सरकार ने झेला करोड़ों रुपये का घाटा, पढ़ें खबर
बागवानों को समर्थन में सरकार ने झेला घाटा। जागरण आर्काइव

रमेश सिंगटा, शिमला। हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानों को समर्थन देने के लिए सरकार ने घाटा झेल लिया। हिमफेड ने कम गुणवत्ता वाला यानी सी ग्रेड सेब 32 करोड़ में खरीदा और 10 करोड़ में बेच दिया। बागवानों से मंडी मध्यस्थता योजना के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत 9.50 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से इसकी खरीद की गई थी। प्रदेश में इस बार सी ग्रेड सेब की रिकार्ड खरीद हुई। दो सरकारी एजेंसियों हिमफेड और एचपीएमसी के माध्यम से दोनों एजेंसी ने 73,129 टन सेब खरीदा। पिछले साल 35,425 टन और 2019 में 57,902 टन खरीदा था। हिमफेड ने इसे नीलामी केंद्रों में आढ़तियों को बेचा, लेकिन आकलन गड़बड़ा गया।

बिक्री से पहले अनुमान लगाया था कि प्रतिकिलो सेब 3.50 रुपये प्रतिकिलो बिकेगा, यह मात्र 2.82 रुपये प्रतिकिलो में बिका। बागवानों से खरीद 32 करोड़ की हुई, जबकि बिक्री करीब 10 करोड़ में ही हो पाई। कम दाम मिलने की वजह ओलावृष्टि के कारण सेब का दागी होना भी है। हिमफेड भी एचपीएमसी की तरह सी ग्रेड सेब का गाढ़ा जूस तैयार नहीं करता क्योंकि प्रदेश में एक भी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है।

पिछले वर्ष कम हुआ था उत्पादन

पिछले वर्ष सेब का उत्पादन कम हुआ था। इस कारण सी ग्रेड का सेब भी कम खरीदा गया। हिमफेड ने 18 हजार टन सेब खरीदा था। तब न्यूनतम समर्थन मूल्य 8.50 रुपये था। बिक्री प्रति किलो 3.69 रुपये में हुई।

क्‍या कहते हैं अधिकारी हिमफेड के अध्‍यक्ष गणेश दत्‍त ने कहा पिछले साल के मुकाबले हिमफेड ने सी ग्रेड का दोगुना सेब खरीदा। सरकार ने अनुमानित दाम का आकलन किया था, उससे कम पर नीलामी हुई। अनुमानित की बजाय असली दाम को गिना जाना चाहिए। हमने सरकार को पहले ही इस संबंध में पत्र लिखा था। बागवानों को कोई घाटा नहीं हुआ, लेकिन हिमफेड को हुआ है। इसकी भरपाई सरकार से की जाएगी। नीलामी केंद्र परवाणु, सावड़ा के आंटी में बनाए गए थे। ओलों से हुए नुकसान के कारण भी दाम अच्छे नहीं मिल पाए। सीनियर मार्केटिंग अफसर बागवानी विभाग डा. ज्ञान सिंह वर्मा का कहना है पिछले वर्षों की तुलना में सी ग्रेड सेब की भी रिकार्ड खरीद हुई है। बागवानों को इसका भुगतान हिमफेड व एचपीएमसी के माध्यम से होता है।

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