Fraud Degree Case: डिजिटल साक्ष्यों में 42 हजार डिग्री फर्जी, मानव भारती में पांच हजार का ही रिकार्ड

Fraud Degree Case हिमाचल के सबसे बड़े डिग्री घोटाले की जांच अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। सीआइडी की एसआइटी जांच में 42 हजार डिग्री के फर्जी होने के डिजिटल साक्ष्य मिले हैं लेकिन सोलन स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय में करीब पांच हजार डिग्री का ही रिकार्ड मिला है।

By Virender KumarEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 07:15 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 07:38 AM (IST)
Fraud Degree Case: डिजिटल साक्ष्यों में 42 हजार डिग्री फर्जी, मानव भारती में पांच हजार का ही रिकार्ड
डिग्री घोटाले की जांच में डिजिटल साक्ष्यों में 42 हजार डिग्री फर्जी पाई गईं। जागरण आर्काइव

शिमला, रमेश सिंगटा। Fraud Degree Case, हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े डिग्री घोटाले की जांच अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। सीआइडी की एसआइटी जांच में 42 हजार डिग्री के फर्जी होने के डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, लेकिन सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय में करीब पांच हजार डिग्री का ही रिकार्ड मिला है। सूत्रों के अनुसार इनमें से मौके पर डिग्रीधारकों से एसआइटी ने केवल 80 डिग्री बरामद की हैं। इनका संबंध देशभर के 15 राज्यों से निकला है। इनकी जांच भी पूरी हो गई है। कई के नाम व पते वेरीफाई नहीं हो पाए हैं, जबकि कई विदेश में हैं। इन डिग्रीधारकों को पूरी तरह से न केवल चिन्हित किया गया है, बल्कि पूछताछ के कई दौर भी पूरे हो गए हैं। लेकिन, अभी तक इन्हें आरोपित नहीं बनाए गए हैं। इनमें से कई को गवाह बनाए जाने की भी संभावनाओं से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। सीआइडी में शामिल कई अधिकारी इस थ्योरी पर भी काम कर रहे हैं, लेकिन कई इन्हें आरोपित बनाना चाहते हैं। इस पर अगली रणनीति तैयार की जा रही है।

एजेंट बच निकले

सीआइडी ने अब तक इस केस में 13 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। कई एजेंट भी आरोपित हैं, लेकिन इनके पास एक भी डिग्री बरामद नहीं हुई है। ये विवि प्रबंधन के पास डिग्री बेचने के लिए ग्राहक लाते थे और बदले में कमीशन लेते थे। विवि के कर्ताधर्ताओं ने डिग्री बेचने के खेल में एजेंट भी रखे थे।

नियामक आयोग ने भेजी थी पुलिस को डिग्री

103 डिग्रियां वे हैं, जो निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने हिमाचल पुलिस के पास भेजी थी। आयोग ने अपनी पड़ताल में इन्हें फर्जी पाया था। जांच और अगली वेरीफिकेशन के लिए पुलिस के हवाले की गई। तब तत्कालीन डीजीपी ने जांच नहीं करवाई। बाद में डीजीपी बदले तो एसआर मरडी ने सीआइडी से प्रारंभिक जांच की गई। सीआइडी ने इसके आधार पर केस दर्ज करने की सिफारिश की। इसके आधार पर मरडी ने सीआइडी की बजाय सोलन पुलिस को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। पुलिस की एाआइटी गठित की गई। बाद में राज्य सरकार ने पूरे मामले में सीआइडी जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सबसे बड़ी एसआइटी गठित की गई।

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