तीन साल में राफ्ट पलटने से चार पर्यटकों ने धोया जान से हाथ

ब्यास की लहरों के साथ राफ्टिंग करना पर्यटकों को भारी पड़ रहा है। हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक कुल्लू-मनाली के सैर सपाटे पर पहुंचते हैं। अधिकतर पर्यटक राफ्टिंग करना पसंद करते हैं लेकिन साहसिक गतिविधियों के रोमांच के चलते कई पर्यटकों को जान से हाथ धोना पड़ता है।

By Virender KumarEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 06:15 AM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 07:07 AM (IST)
तीन साल में राफ्ट पलटने से चार पर्यटकों ने धोया जान से हाथ
जिला कुल्लू में ब्यास की लहरों में राफ्टिंग करते हुए सैलानी। जागरण

कुल्लू, कमलेश वर्मा। ब्यास की लहरों के साथ राफ्टिंग करना पर्यटकों को भारी पड़ रहा है। हर साल लाखों की संख्या में देश व विदेशी पर्यटक पर्यटन नगरी कुल्लू-मनाली के सैर सपाटे पर पहुंचते हैं। अधिकतर पर्यटक राफ्टिंग करना पसंद करते हैं, लेकिन साहसिक गतिविधियों के रोमांच के चलते कई पर्यटकों को जान से हाथ धोना पड़ता है।

जिला कुल्लू में 2019 से लेकर अब तक चार पर्यटकों की राफ्ट पलटने के कारण मौत हो चुकी है। हालांकि जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की ओर से राफ्टिंग कारोबार से जुड़े लोगों को समय-समय पर मनाली में स्थापित अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबद्ध खेल संस्थान के माध्यम से ट्रेङ्क्षनग भी करवाई जाती है साथ ही टेक्निकल कमेटी की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी करने वालों को ही पंजीकृत कर राफ्टिंग करवाने की अनुमति दी जाती है। सुरक्षा के लिहाज से लाइफ जैकेट, थ्रो बैग, सेफ्टी रोप, हेल्मेट सहित अन्य चीजें होना जरूरी होता है। पर्यटन विभाग की ओर से इस कारोबार से जुड़े लोगों को समय-समय पर ट्रेङ्क्षनग देने के साथ ही इनकी हर गतिविधि पर भी नजर रखी जाती है।

जिला में 350 पंजीकृत राफ्ट

कुल्लू में 350 के करीब राफ्ट पंजीकृत हैं। बजौरा से लेकर मनाली तक राफ्टिंग करवाने वाली करीब 100 एजेंसियां शामिल हैं। इसके अलावा प्रत्यक्ष रूप से 1000 के करीब आपरेटर्स, गाइड व हेल्पर सीधे तौर पर इस रोजगार से जुड़े हैं। इन युवाओं को घरद्वार पर रोजगार के साधन मुहैया हो रहे हैं।

तीन चिन्हित साइट

ब्यास नदी में रिवर राफ्टिंग के लिए पर्यटन विभाग की ओर से तीन साइट चिन्हित की गई हैं। इनमें बबेली से लेकर वैष्णो माता मंदिर तक करीब तीन किलोमीटर का ट्रैक है। रायसन से लेकर शूङ्क्षटग रेंज बंदरोल तक चार किलोमीटर जबकि पिरड़ी से लेकर झीड़ी तक 12 से 13 किलोमीटर लंबा ट्रैक है।

दो माह बंद रहती है गतिविधियां

हर साल 15 जुलाई से लेकर 15 सितंबर तक पर्यटन साहसिक गतिविधियां बंद रहती हैं। इन दिनों ब्यास नदी अपने पूरे उफान पर होती है। 2020 में कोरोना महामारी के कारण राफ्टिंग सहित अन्य सभी साहसिक गतिविधियां पूर्ण रूप से बंद थी। -राजेश भंडारी, जिला पर्यटन अधिकारी कुल्लू

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