फोरलेन प्रभावितों को मिल सकता है चार गुना मुआवजा
हिमाचल प्रदेश में फोरलेन के लिए जमीन देने वालों को चार गुना मुआवजा मिल सकता है। इसके लिए सरकार भू-अधिग्रहण के मामलों में मुआवजा तय करने के लिए फैक्टर-टू लागू करने की तैयारी में है। अभी प्रदेश में फैक्टर-वन ही लागू है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में फोरलेन के लिए जमीन देने वालों को चार गुना मुआवजा मिल सकता है। इसके लिए सरकार भू-अधिग्रहण के मामलों में मुआवजा तय करने के लिए फैक्टर-टू लागू करने की तैयारी में है। अभी प्रदेश में फैक्टर-वन ही लागू है। फैक्टर-टू में भूमि मालिकों को फैक्टर-वन से ज्यादा यानी चार गुना मुआवजा देने का प्रविधान है। इस संबंध में शिक्षामंत्री गोङ्क्षवद ङ्क्षसह ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई। इसमें मुआवजे समेत फोरलेन से जुड़े मसलों पर चर्चा की गई।
शिक्षामंत्री गोङ्क्षवद ठाकुर ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सरकार ने मुआवजे को लेकर दूसरे राज्यों की रिपोर्ट भी मंगवाई है। इसका भी अध्ययन किया जा रहा है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पूर्व विजन दस्तावेज में फैक्टर-टू लागू करने का वादा किया था। सरकार अपनी बात पर खड़ी है। अब इसके व्यावहारिक पहलुओं को देखा जाएगा। यह मसला कैबिनेट में जाएगा और वहीं पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। मंत्री के मुताबिक किसी भी मुद्दे पर संवाद, वार्ता जरूरी होती है। दोनों पक्षों के साथ बैठने से कोई न कोई समाधान निकलता है।
बैठक में फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष बृजेश महंत व सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर भी शामिल हुए। 12-13 मुद्दों पर चर्चा की गई है। अधिकांश मामलों के निपटारे पर सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा कि राइट-आफ-वे से सटी/बाहर भूमि पर हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व प्रदेश सरकार मिलकर नीति बनाएगी। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश राज्य के प्रभावित लोगों को चिह्नित किया जाए और ऐसे प्रभावितों को तुरंत उचित मुआवजा प्रदान किया जाए।
चर्चा हुई कि फोरलेन के लिए भूमि अधिग्रहण से जिन क्षेत्रों में अधिक संख्या में लोग विस्थापित हो रहे हैं, वहां बाईपास बनाकर उन्हें विस्थापित होने से बचाया जाए। ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने कहा कि अब उपायुक्त एवं अन्य अधिकारी पुनर्वास के मामलों को चिह्नित करेंगे। यह प्रक्रिया रुकी हुई थी, जिसे चालू करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुआवजे का फैक्टर-वन व टू
प्रभावित 2013 भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मौजूदा बाजार भाव के तहत मुआवजा निर्धारण और पुनर्वास पुनस्र्थापना की मांग कर रहे हैं। भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में फैक्टर वन व टू का मामला चुनावी मुद्दा भी रहा था। सत्ता में आए साढ़े तीन साल से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद सरकार ने अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। संघर्ष समिति फैक्टर-टू यानी किसानों को जमीन का चार गुणा मूल्य चाहती है। चाहे जमीन उपजाऊ हो या फिर ढलानदार या घासनी। राज्य में जिन प्रोजेक्टों के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इन्हें फैक्टर-वन के तहत दोगुना मुआवजा दिया जा रहा है।