Shyama Sharma Passed Away: 22 साल की उम्र में शुरू किया था बड़ा आंदोलन, शांता कुमार के साथ रही थीं जेल में

Shyama Sharma Passed Away नाहन की पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने 1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे पांवटा साहिब के समीप खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 02:21 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 02:28 PM (IST)
Shyama Sharma Passed Away: 22 साल की उम्र में शुरू किया था बड़ा आंदोलन, शांता कुमार के साथ रही थीं जेल में
श्‍यामा शर्मा नाहन में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्‍यमंत्री शांता कुमार व अन्‍य नेताओं के साथ। फाइल फोटो

नाहन, जेएनएन। नाहन की पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा ने 1975 में आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे पांवटा साहिब के समीप खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोला था। इस यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में मजदूरों का शोषण होता था। देश के विभिन्न राज्यों से मजदूरों को 200 से 300 रुपये देकर लाया जाता था और छह महीने तक बिना वेतन के काम करवाया जाता था। छह माह काम के बदले मजदूरों को कोई धनराशि नहीं दी जाती थी, जिस पर 1975 में 22 वर्षीय कुमारी श्यार्मा शर्मा ने मजदूरों के शोषण के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। प्रदेश सरकार ने आंदोलन को कुचलने का पूरा प्रयास किया।

श्यामा शर्मा के नेतृत्व में मजदूरों ने जमकर आंदोलन किया। 1975 में जब सिरमौर पुलिस श्यामा शर्मा को पकडऩे खोदरी माजरी पंहुची, तो उन्होंने उफनती हुई टोंस नदी को तैर कर पार किया। वह उत्तर प्रदेश के जौनसार बाबर जा पहुंची, जौनसार बाबर क्षेत्र अब उत्तराखंड राज्य में आता है।

फिर एक वर्ष तक श्यामा शर्मा ने भूमिगत होकर जौनसार बाबर, दिल्ली व इलाहाबाद से मजदूरों के शोषण के प्रति आंदोलन को चलाए रखा। खोदरी माजरी यमुना हाइड्रो प्रोजेक्ट में आपातकाल के दौरान जब आंदोलन चल रहा था, तो सिरमौर पुलिस प्रशासन ने 600 से अधिक मजदूरों को अस्थायी जेल बनाकर बंद कर दिया था।  जेल में कैदियों से बहुत बुरा व्यवहार होता था। उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती थी।

बार-बार की रेड के बाद भी श्यामा नहीं आई पुलिस के हाथ

प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बन गई श्यामा शर्मा को पकडने के लिए पुलिस ने कई बार जाल बिछाया, मगर वह पुलिस के हाथ नहीं आईं। जिस पर पुलिस ने हर तीसरे दिन उनके घर पर रेड करनी शुरू कर दी। घर पर लगातार हो रही रेड से आहत होकर श्यामा शर्मा के पिता की मृत्यु हो गई। जिसके कुछ समय बाद वह नाहन पहुंची। जैसे ही श्यामा शर्मा नाहन पहुंची, तो प्रदेश सरकार ने उन पर मिसा व डीआईआर लगा दिया। मिसा के तहत हिरासत में लिए जाने के बाद कई दिनों तक पुलिस थाने के लॉकअप में रखा जाता था। उसके बाद डीआईआर लगा उन्हें नाहन सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया, क्योंकि वह एकमात्र आंदोलनकारी महिला थी। इसलिए उन्हें एक आजीवन कारावास महिला कैदी सिबिया के साथ लॉकअप में रखा गया। श्यामा शर्मा 30 जून 1975 को जेल गई थी। इस दौरान वह जेल में शांता कुमार, स्वर्गीय जगत सिंह नेगी, महेंद्र नाथ सोफ्त व मुन्नीलाल वर्मा के साथ सेंट्रल जेल नाहन में कई महीनों तक रहीं। उन्होंने जेल में रह कर भी आंदोलन को चलाए रखने के लिए अपने सहयोगियों को निर्देश देती रहीं।

मुख्यमंत्री बनने के बाद शांता कुमार ने नाहन जेल में किया पहला कार्यक्रम

श्यामा शर्मा जब शांता कुमार के साथ जेल में रही, तो उन्होंने कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार और उनकी स्थिति को अच्छी तरह से समझा। जिस पर जब 1977 में शांता कुमार प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपना पहला कार्यक्रम नाहन सेंट्रल जेल में रखा। यही से प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के सुधार के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए। जिसमें नाहन जेल में कैदियों के लिए खड्डी का निर्माण व उनके लिए दैनिक कार्यों की व्यवस्था की गई, ताकि कैदियों के जीवन में सुधार आ सके।

कभी नहीं किया एसी का इस्‍तेमाल

श्यामा शर्मा जब वह जेल में रहीं और उन्होंने कैदियों के साथ भी जीवन बिताया। तो उससे प्रेरणा लेकर उन्होंने कभी भी एसी का प्रयोग नहीं किया। भीषण गर्मियों में वह केवल हवा के लिए पंखे का प्रयोग करती थीं। श्यामा शर्मा 1977, 1982 व 1990 में तीन बार नाहन की विधायक व मंत्री रही। सुविधा होने के बावजूद आज तक एसी का प्रयोग नहीं किया।

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