अफसरों की लड़ाई पर पूर्व मंत्री जीएस बाली ने सरकार पर इस तरह कसे तंज
पूर्व मंत्री जीएस बाली ने कहा कि सरकारी तंत्र पूर्णतया फेल हो चुका है तथा कानून व्यवस्था का दिवाला पिट गया है। जिसका उदाहरण भुंतर की शर्मनाक घटना है जहां मुख्यमंत्री के सामने पुलिस विभाग के दो सीनियर अफसर आपस में भिड़ गए।
नगरोटा बगवां, संवाद सहयोगी। पूर्व मंत्री जीएस बाली ने कहा कि कोरोना काल के दौरान लोगों को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ रहा है जो कि अपने आप में चिंतनीय विषय है। कोरोना काल के दौरान जहां कई परिवारों के सदस्यों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। वहीं रोजगार छिन जाने के कारण युवा वर्ग बेरोजगार होकर घर बैठने पर मजबूर हो गया है, लेकिन प्रदेश सरकार हर तरफ फेल साबित हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार कोरोना के कारण बेरोजगार हुए युवकों के लिए कोई ठोस नीति बनाने में नाकाम साबित हुई है।
सरकारी तंत्र पूर्णतया फेल हो चुका है तथा कानून व्यवस्था का दिवाला पिट गया है। जिसका उदाहरण भुंतर की शर्मनाक घटना है जहां मुख्यमंत्री के सामने पुलिस विभाग के दो सीनियर अफसर आपस में भिड़ गए। कोरोना काल में लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ तनाव मुक्त करने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार प्रभावी ढंग से प्रत्येक योजना को लागू करें। प्रदेश सरकार करोना कॉल में आम जनता के हित में निर्णय लेने में नाकाम साबित हुई है।
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता विधानसभा क्षेत्र के लोगों को मास्क डालने के लिए जागरूक कर रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों का दौरा करने के पश्चात करोना काल में हुए जानी एवं माली नुकसान का जायजा एवं आकलन किया जा रहा है। अनाथ हुए बच्चों को एवं 70 साल से ऊपर बुजुर्ग जिनका कमाई का साधन छिन गया उन्हें प्रतिमाह 2000 खर्चे के रूप में उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र में जरूरतमंद लोगों की हर संभव मदद की जाएगी।
इस मौके पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष मान सिंह चौधरी, बीडीसी चेयरमैन अंजना कुमारी तथा अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
शरारती दिमाग की उपज थी पोस्टर फाड़ना
जीएस बाली ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की याद में लगाए गए पोस्टर में फोटो को फाडऩे का मामला शरारती तत्वों को पार्टी से निष्कासित करने के बाद शांत हो गया है। पार्टी हाईकमान द्वारा किसी भी सूरत में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाती। पार्टी में रहते हुए जिन कार्यकर्ताओं द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया उनके ऊपर पहले से ही कई मुकदमे चले हुए हैं। यह घटना शरारती दिमाग की उपज थी।