विदेशी पायलटों की जान पर भारी पड़ रही विश्व प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग साइट बीड़ बिलिंग, यह है हादसों का कारण
Paragliding site Bir Billing पैराग्लाइडिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध बीड़ बिलिंग घाटी दो दशक में कई विदेशी पायलटों की जान पर भारी पड़ चुकी है। यहां हवा के रुख व भौगोलिक परिस्थितियों को आसान आक लेना इसका बड़ा कारण बन चुका है।
बीड़, मुनीष दीक्षित। पैराग्लाइडिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध बीड़ बिलिंग घाटी दो दशक में कई विदेशी पायलटों की जान पर भारी पड़ चुकी है। यहां हवा के रुख व भौगोलिक परिस्थितियों को आसान आक लेना इसका बड़ा कारण बन चुका है। दुनियाभर में हवाबाजी के खेल में निपुण पायलट भी यहां जान गवां चुके हैं। यहां पैराग्लाइडिंग के कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुकाबले हो चुके हैं। यह साइट जितनी खूबसूरत है उतनी ही खतरनाक भी है। 2003 से लेकर अब तक यहां से करीब 10 विदेशी पायलटों की मौत हो चुकी है। एक ब्रिटिश मूल के पायलट जियोल किंचन का आजतक कोई पता नहीं चल पाया है। शुक्रवार को भी यहां फ्रांस के पायलट की प्रशिक्षण के दौरान मौत हो गई थी।
हालांकि प्रशासन ने उड़ान भरने के लिए स्थान चयनित किए हैं और पायलटों को निर्देश दिए जाते हैं कि वे निर्धारित जगह से ही उड़ान भरें। बावजूद इसके कई पायलट मनमर्जी से उड़ान भरते हैं और खराब परिस्थितियों में उलझकर हादसों का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय पायलटों का पंजीकरण करते समय उन्हें निर्देश दिए जाते हैं कि अगर कोई बाहर का पायलट यहां से उड़ान भरता है तो उसे यहां की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत करवाएं। यहां इतना स्टाफ ही नहीं है कि कोई किसी को जानकारी दे सके।
क्या है पैराग्लाइडिंग
पैराग्लाइडिंग दो प्रकार से होती है। एक टेंडम व दूसरी सोलो। टेंडम में एक प्रशिक्षित पायलट किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने साथ उड़ा सकता है। सोलो पैराग्लाइडिंग में केवल पायलट उड़ता है। प्रदेश में अधिकांश पर्यटक लाइसेंस व अनुभव न होने से केवल टेंडम पैराग्लाइडिंग ही करते हैं।
छह बार प्री व एक दफा हो चुका वर्ल्ड कप
बिलिंग घाटी में छह बार पैराग्लाइडिंग प्री वर्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है। वर्ष 2015 में पहली बार देश के पहले पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप का आयोजन यहां हुआ था। यहां इटली के बाद विश्व की दूसरी बेहतरीन पैराग्लाइडिंग साइट है। यहां से दो सौ किमी तक उड़ान की सुविधा है।
1984 में अस्तित्व में आई थी साइट
बिलिंलग घाटी रोमांचक खेलों के लिए वर्ष 1984 में अस्तित्व में आई थी। उस समय घाटी से केवल हैंगग्लाइडिंग शुरू हुई थी। उस दौरान यहां हैंगग्लाइडिंग की अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता करवाई गई थी। वर्ष 1992 में पहली बार पैराग्लाइडिंग की उड़ान भरी गई थी। विदेशी पायलट ब्रूस मिल्स ने यहां पैराग्लाइडिंग का सिलसिला शुरू किया था तथा स्थानीय युवाओं को इसका प्रशिक्षण दिया था।
बिलिंग को संभाल रहा एक सुपरवाइजर
बीड़ बिलिंग का नाम बेशक दुनिया में बहुत छा गया हो मगर यहां की जमीनी हकीकत भी जान लीजिए। यहां पैराग्लाइडिंग गतिविधियों को संभालने के लिए केवल एक ही कर्मचारी है। उसके कंधों पर साडा यानी स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी की भी जिम्मेदारी है तथा पैराग्लाइडिंग सुपरवाइजर की भी है। हालांकि वह काम अच्छा कर रहे हैं मगर एक बड़े क्षेत्र के लिए अब और कर्मचारियों की भी जरूरत आन पड़ी है।
सुरक्षा पर और ध्यान देने की जरूरत
बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने कहा टीम यहां जरूरत पर रेस्क्यू करती है। कई पायलटों को अब तक बचाया जा चुका है। सुरक्षा पर यहां और ध्यान देने की जरूरत है। वर्ष 2013 व 2015 में यहां वर्ल्ड कप के दौरान भी कोई बड़ा हादसा नहीं होने दिया गया था।
भौगोलिक परिस्थिति की जानकारी न होने से हो रहे हादसे : एसडीएम
एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा का कहना है प्रशासन पायलटों को जरूरी दिशानिर्देश जारी करता है। कुछ हादसे भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी न होने व मौसम के कारण होते हैं। लगातार सुरक्षा पर काम करवाया जा रहा है।
पायलटों की सुरक्षा पर भी होगा काम : विधायक
स्थानीय विधायक मुल्ख राज प्रेमी का कहना है बिलिंग घाटी को सरकार ने प्राथमिकता पर लिया है। यहां विकास कार्य शुरू हो रहे हैं। पायलटों की सुरक्षा पर भी काम करवाया जा रहा है।