Scrub Typhus : आइजीएमसी में स्क्रब टायफस से अब तक पांच की मौत, 284 संक्रमित
आइजीएमसी में अभी तक पांच मरीज स्क्रब टायफस के कारण दम तोड़ चुके हैं और 284 लोग संक्रमित पाए गए हैं। बरसात के सीजन में अधिक पनपने वाले स्क्रब टायफस से बचने के लिए आइजीएमसी प्रशासन ने लोगों से बचाव की अपील की है।
शिमला, जागरण संवाददाता। शिमला में कोरोना के बाद अब स्क्रब टायफस का खतरा बढ़ रहा है। आइजीएमसी में अभी तक पांच मरीज स्क्रब टायफस के कारण दम तोड़ चुके हैं और 284 लोग संक्रमित पाए गए हैं। बरसात के सीजन में अधिक पनपने वाले स्क्रब टायफस से बचने के लिए आइजीएमसी प्रशासन ने लोगों से बचाव की अपील की है।
अस्पताल के एमएस डा. जनकराज का कहना है कि स्क्रब टायफस बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो कि जानलेवा है। इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं, लेकिन यह घास में रहने वाले कीड़ों में पलने वाले पिस्सू से फैलता है। इसलिए स्क्रब टायफस के मामले गांवों में ज्यादा आते हैं। बरसाती मौसम में हल्के या तेज बुखार को हल्के में न लें। किसी भी कारण से आए बुखार को नजरअंदाज न करें। तुरंत डाक्टर के पास जाएं और बुखार की जांच करवाएं। बुखार यदि एक हफ्ते से ज्यादा चले तो मरीज का मर्ज चरम तक पहुंच सकता है। ऐसे में मरीज को बचाना कई बार मुश्किल हो जाता है। आइजीएमसी में इस सीजन में स्क्रब टायफस के 2049 सैंपल लिए गए थे।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में इस बीमारी के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में दवा व अन्य इंजेक्शन उपलब्ध हैं। इसके लक्षण नजर आने पर मरीज को बिना समय गंवाए नजदीकी अस्पताल में डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
कैसे होती है मौत
स्क्रब टायफस वाला कीड़ा जब काटता है तो वह अपनी लार छोड़ता है ऐसे में पीडि़त व्यक्ति को इंफेक्शन हो जाता है। जब यह इंफेक्शन शरीर के अंगों में पहुंच जाता है तो मरीज की मौत हो जाती है। फेफड़े, किडनी, लिवर में इंफेक्शन पहुंचने से ये सभी काम करना बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज का बच पाना संभव नहीं हो पाता। इसके अलावा मरीज का अस्पताल में बीमारी की लेट जांच करवाना भी मौत का कारण होता है।
बीमारी की पहचान और लक्षण
पीडि़त व्यक्ति के शरीर में काले रंगा का निशान होगा। वह निशान आसानी से नहीं दिखता है। निशान में दर्द नहीं होता। बुखार, थकावट, कंपन, शरीर के अंगों में दर्द, कमजोरी, उल्टियां इसके लक्षण हैं।