बर्ड फ्लू ने मुश्किल कर दिया मछुआरों का जीवन, आखेट पर प्रतिबंध से रोजी-रोटी पर मंडराया संकट
Pong Lake Bird Flu Virus पौंग झील में बर्ड फ्लू से प्रवासी पक्षियों की मौत होने के कारण मत्स्य आखेट पर एकदम से प्रतिबंध लगा दिया है।कोरोना के कारण पहले ही छह महीने तक झील में मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगा रहा।
नगरोटा सूरियां, जेएनएन। पौंग झील में बर्ड फ्लू से प्रवासी पक्षियों की मौत होने के कारण मत्स्य आखेट पर एकदम से प्रतिबंध लगा दिया है। इससे मछुआरे रोजी रोटी के लिए भारी परेशानी उठा रहे हैं। कोरोना के कारण पहले ही छह महीने तक झील में मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगा रहा। पिछले साल सितंबर में झील में मछुआरों ने मछली पकड़ने शुरू की थी तो दिसंबर में बर्ड फ्लू के कारण फिर प्रतिबंध लगा दिया। इससे अब मछुआरों को रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं तथा अपने व्यवसाय को छोड़कर मछुआरों को दिहाड़ी लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मछुआरों के घर का चूल्हा बड़ी मुश्किल से चल पा रहा है।
मछुआरा विजय कुमार, सतपाल, राजिन्दर काका, कृष्ण कुमार, अशोक कुमार, संजय कुमार, संदीप कुमार, संजीव कुमार, कर्म चन्द, तन्नू राम, वीर सिंह, अशवनी कुमार, मनोज कुमार, सुभाष चन्द, राकेश कुमार, इन्द्रपाल, नरेश कुमार ने कहा पौंग झील में एकदम से मत्स्य आखेट पर प्रतिबंध लगाने से उनके जाल पानी में ही रह गए हैं तथा कश्तियां भी सूखी जगह पर पड़ी हुई हैं। सूखी जगह पर कश्तियां के पड़े होने से उन्हें दीमक लग जाएगी तथा मछुआरों का हजारों रुपये का नुकसान हो जाएगा।
उन्होंने कहा पौंग झील में मछली पकड़ने का कार्य करने से ही उनके परिवार का पालन-पोषण होता है। उन्होंने कहा करीब 2200 मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य करके आजीविका कमाते हैं। लेकिन अब उनको घर का खर्च उठाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा अगर बर्ड फ्लू के चलते सरकार ने मछली पकड़ने के लिए जाने वाले मछुआरों पर पाबंदी लगानी थी तो उस हिसाब से मछुआरों के लिए कोई राहत राशि भी दी जानी चाहिए थी।
उन्होंने कहा कि मछुआरों को झील में लगे जालों को निकालने दिया जाए व किश्तियों को भी पानी में पहुंचाने दिया जाए। मछुआरों ने प्रदेश सरकार व मत्स्य विभाग से मांग उठाई है कि मछुआरों को राहत राशि प्रदान की जाए ताकि परिवार का पालन-पोषण कर सकें।