हिमाचल में मनमानी फीस वसूली तो पांच लाख तक जुर्माना, विधेयक तैयार

निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए प्रदेश सरकार कानूनी शिकंजा कसने जा रही है। यदि कोई स्कूल ज्यादा फीस वसूलता है तो एक से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा। आरोप साबित होने पर मान्यता भी रद की जा सकती है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 11:45 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 10:19 AM (IST)
हिमाचल में मनमानी फीस वसूली तो पांच लाख तक जुर्माना, विधेयक तैयार
मनमानी फीस वसूलने वाले स्कूलों पर शिकंजा कसेगा। प्रतीकात्मक

शिमला, जागरण संवाददाता। निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए प्रदेश सरकार कानूनी शिकंजा कसने जा रही है। यदि कोई स्कूल ज्यादा फीस वसूलता है तो एक से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा। आरोप साबित होने पर मान्यता भी रद की जा सकती है। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूल की एनओसी निरस्त की जा सकती है। ज्यादा फीस वसूली को सरकार ने मुनाफाखोरी की श्रेणी में रखा है। आरोप साबित होने पर दोषी को जेल भी हो सकती है।

सरकार ने हिमाचल प्रदेश निजी विद्यालय (फीस और अन्य संबंधित मामलों का विनियमन) विधेयक-2021 का प्रारूप तैयार कर लिया है। वित्त विभाग की मंजूरी के बाद शिक्षा विभाग ने इस पर 20 जून तक लोगों के सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे संभवत: विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। डे केयर, प्री प्राइमरी, क्रैच से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की फीस का निर्धारण इसी कानून के अधीन आएगा।

छह फीसद से ज्यादा नहीं बढ़ेगी फीस

निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए संबंधित जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। स्कूल में मूलभूत सुविधाओं के आधार पर फीस तय की जाएगी। स्कूल सालाना छह फीसद से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। फीस का ढांचा तैयार करने और इसे लागू करने के लिए जिलास्तरीय कमेटी से अनुमति लेनी होगी। हर साल नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले फीस का पूरा ब्योरा स्कूल की वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर दर्शाना होगा। फीस से संबंधित शिकायत जिला स्तर पर कमेटी सुनेगी। यदि शिकायतकर्ता कमेटी के फैसले से नाखुश है तो वह राज्यस्तरीय कमेटी से शिकायत कर सकता है। पीटीए का सुझाव भी इसके लिए लिया जाएगा।

हर साल होगा आडिट, शिक्षकों के वेतन का देना होगा हिसाब

फीस जमा करने के लिए स्कूल का एक ही बैंक खाता होगा, इसी में सभी की फीस जमा होगी। स्कूलों का हर साल आडिट होगा। निजी स्कूल वर्दी और किताबों पर मनमर्जी नहीं कर सकेंगे। पांच साल से पहले कोई भी स्कूल वर्दी नहीं बदल पाएगा। अभिभावक किसी भी दुकान से वर्दी और किताबें खरीद सकेंगे।

फीस के निपटारे के लिए बनेगा अपील प्राधिकरण

फीस से संबंधित शिकायतों और उसके निपटारे के लिए राज्य फीस विनियमन अपील प्राधिकरण बनेगा। निदेशक उच्चतर शिक्षा इसके अध्यक्ष होंगे। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सदस्य होंगे, जबकि संयुक्त और अतिरिक्त निदेशक इसके सदस्य सचिव होंगे। तीन अन्य सदस्यों की नियुक्ति अध्यक्ष करेेगा।

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