उमा की पढ़ाई में आर्थिक कारण नहीं बनेंगे बाधक, संजय पराशर ने बी फार्मेसी की फीस भरने में की मदद

जसवां-परागपुर क्षेत्र के चलाली गांव में रह रही बिहार की होनहार छात्रा उमा की पढ़ाई में अब आर्थिक कारण बाधा नहीं बनेंगे। समाजसेवी कैप्टन संजय पराशर ने ऐसे समय में मदद की है जब वह फीस न भर पाने के कारण कालेज छोडऩे का मन बना चुकी थी।

By Virender KumarEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 11:15 PM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 11:15 PM (IST)
उमा की पढ़ाई में आर्थिक कारण नहीं बनेंगे बाधक, संजय पराशर ने बी फार्मेसी की फीस भरने में की मदद
संजय पराशर ने बी फार्मेसी कर रही छात्रा उमा की फीस भरने में मदद की। जागरण आर्काइव

ङ्क्षचतपूर्णी/डाडासीबा, जागरण टीम। जसवां-परागपुर क्षेत्र के चलाली गांव में रह रही बिहार राज्य की होनहार छात्रा उमा की पढ़ाई में अब आर्थिक कारण बाधा नहीं बनेंगे। समाजसेवी कैप्टन संजय पराशर ने इस बेटी की ऐसे समय में मदद की है, जब वह फीस न भर पाने के कारण कालेज छोडऩे का मन बना चुकी थी। संजय के साथ उनके छह दोस्तों ने भी उमा की फीस भरने में सहयोग दिया है।

बिहार के सीतामढ़ी जिला के मेजरगंज की निवासी उमा का परिवार चलाली गांव में रोजी-रोटी कमाने के लिए आया था, लेकिन असमय उसके सिर से पिता का साया उठ गया तो माता भी अस्वस्थ हो गई। घर में खाने तक के लाले पड़ गए। इस मुश्किल वक्त में चलाली वासियों ने सहयोग दिया। गांव इस परिवार को रहने के लिए बिना किराये के मकान दिया और कुछ परिवार राशन भी उपलब्ध करवाते रहे हैं।

दसवीं में 81 प्रतिशत और जमा दो कक्षा में 74 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली उमा को बी फार्मेसी कालेज पंचकूला में दाखिला मिल गया। मां की भी जिद थी कि बेटी को हर हाल में उच्च शिक्षा दी जाए। पहले सेमेस्टर की फीस तो मां अनिता देवी ने खेत बेचकर भर दी, लेकिन दूसरे सेमेस्टर की फीस भरने का संकट पैदा हो गया। हताश होकर उमा कालेज छोडऩे का मन बना चुकी थी। ऐसे में गांव के ही किसी व्यक्ति ने उमा को कैप्टन संजय से संपर्क करने को कहा। संजय ने इस होनहार बेटी की व्यथा सुनने के बाद भरोसा दिलाया कि अब आर्थिक कारण उसकी पढ़ाई में रूकावट नहीं बनेंगे। उमा की पढ़ाई के लिए पराशर ने 11 हजार रुपये राशि दी तो उनके सहयोगियों रविन्द्र कालिया, भूषण कालिया, कुंदन गर्ग, विकास और राजेश ने भी दस हजार रुपये दिए हैं। इसके अलावा पराशर ने हर महीने उमा को एक हजार रुपये की स्कालरशिप देने का निर्णय लिया है।

बता दें कि होनहार विद्यार्थियों के लिए कैप्टन संजय एकमुश्त आर्थिक मदद के साथ मासिक छात्रवृत्ति भी देते हैं। पराशर ने इसी वर्ष ङ्क्षचतपूर्णी कालेज के 175 विद्यार्थियों का वार्षिक शुल्क भी भरा था। उमा की मां अनिता देवी का कहना था कि पराशर उनके परिवार के लिए किसी मसीहा जैसे हैं। पराशर ने उनकी उस वक्त मदद की जब वह हर तरफ से आस छोड़ चुके थे। उनके पास संजय को देने के लिए सिर्फ दुआएं ही हैं।

तुलसी विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए पराशर

गरली में तुलसी-शालिग्राम के विवाह कार्यक्रम में कैप्टन संजय भी शामिल हुए। पराशर ने कहा कि देश के विभाजन के समय कई परिवार अपना सब कुछ छोड़कर सिर्फ तुलसी का पौधा साथ लेकर भारत आए थे। इतिहास में यह बात दर्ज है। उनकी इच्छा है कि फिर से पूर्वजों की जमीन पर ऐसे परिवार बिना वीजा के जा पाएं, इसके लिए वह हर दिन भगवान से प्रार्थना करते हैं।

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