बागवान युवक ने तैयार किया खास वुड स्टोव, स्टार्टअप योजना के तहत स्वीकृत; सरकार भी करेगी मदद
Farmer Startup Project चूल्हे से निकलने वाला धुआं लोगों को बीमार करता है। यह धुआं रसोईघर को भी काला करता है। अब इस समस्या का हल निकल आया है। कुल्लू निवासी बागवान विशाल भोपाल ने धुआं रहित वुड स्टोव डिजाइन किया है।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। चूल्हे से निकलने वाला धुआं लोगों को बीमार करता है। यह धुआं रसोईघर को भी काला करता है। अब इस समस्या का हल निकल आया है। कुल्लू निवासी बागवान विशाल भोपाल ने धुआं रहित वुड स्टोव डिजाइन किया है। इससे बीमार होने व रसाईघर के काला होने की गुंजाइश नहीं है। घरों में इस्तेमाल होने वाले चूल्हों में लकड़ी करीब 20 फीसद आग पैदा करती है, बाकी हाइड्रोकार्बन पैदा कर प्रदूषण बढ़ाने व बीमारियों का कारण बन रही है। यही कारण है कि हिमाचल सरकार ने स्टार्टअप योजना के तहत विशाल के प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी है। हिमाचल प्रदेश पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (हिमकोस्टा) ने मॉडल को वैज्ञानिक आधार पर उचित पाया है। वुड स्टोव से कमरे को गर्म करने के साथ खाना भी बन सकता है। इसमें अपनाई गई तकनीक से लकडिय़ों की खपत व हाइड्रोकार्बन कम जबकि आग ज्यादा पैदा होगी।
चूल्हे से प्रदूषण के बढ़ते स्तर और बीमारियों के कारण सरकार एलपीजी इस्तेमाल पर जोर दे रही है। हालांकि गांवों में लोगों को हमेशा एलपीजी इस्तेमाल करना मुश्किल है। इसलिए वे चूल्हों का भी इस्तेमाल करते हैं। वुड स्टोव समय बचाने के अलावा प्रदूषण कम करेगा। विशाल ने बीएससी की है।
वैज्ञानिकता की कसौटी पर परखा जाएगा वुड स्टोव
धुएं रहित चूल्हे बहुत हैं और बिक भी रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिक आधार पर कौन सा चूल्हा ठीक है, इसका लोगों को पता नहीं है। विशाल के डिजाइन किए वुड स्टोव को वैज्ञानिकता की कसौटी पर परखा जाएगा। उन्हें हिमकोस्टा 25 हजार रुपये मासिक एक साल तक प्रदान करेगी। खर्च का 75 फीसद अनुदान मिलेगा। इसकी अधिकतम सीमा दस लाख रहेगी। इससे मॉडल वैज्ञानिक आधार पर विकसित कर स्टार्टअप में भी रोजगार दे सकेंगे।
वुड स्टोव की खासियत
वुड स्टोव में रिफ्लेक्टर का इस्तेमाल किया गया है। इससे लकड़ी धुआं या हाइड्रोकार्बन पैदा करने की बजाय आग पैदा करती है। इससे धुआं कम पैदा होता है।
धुआं कम आग ज्यादा
विशाला भोपाल का कहना है वुड स्टोव में धुआं नजर नहीं आता है। इसमें लकड़ी जलाने पर आग ज्यादा होती है जबकि हाइड्रोकार्बन कम पैदा होते हैं।
आर्थिक मदद दी जाएगी
हिमकोस्टा की वरिष्ठ विज्ञानी डॉक्टर अपर्णा का कहना है विशाल के वुड स्टोव के प्रोजेक्ट को स्टार्टअप के तहत मंजूरी दी है। उन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी, जिससे वह मॉडल विकसित कर सकें।
सरकार देगी अनुदान
विशेष सचिव पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी डीसी राणा का कहना है प्रोजेक्ट व मॉडल को तैयार करने के हर माह 25 हजार रुपये एक साल तक जाएंगे। प्रोजेक्ट को व्यावसायिक तौर पर स्थापित करने के लिए खर्च होने वाली राशि का 75 फीसद अनुदान दिया जाएगा। यह अधिकतम दस लाख होगा और सरकार को लौटाना नहीं होगा। पूरा प्रोजेक्ट तैयार करना होगा कि कितना लॉट कब तैयार होगा और मानव श्रम कितना लगेगा।