टूटते परिवारों के लिए नजीर है 29 सदस्यों वाला कुनबा, चार पीढि़यों को समेटे एक छत Kangra News

Tangroti Khas Joint Family तरक्की की रपटीली राहों पर सरपट भाग रहे टूटते परिवारों के लिए धर्मशाला के तहत तंगरोटी खास गांव का यह परिवार नजीर है। एक छत एक चूल्हा और चार पीढि़यों से समेटे 29 सदस्यों का यह परिवार रिश्तों के मजबूत बंधन की गवाही दे रहा है।

By Edited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 10:52 AM (IST)
टूटते परिवारों के लिए नजीर है 29 सदस्यों वाला कुनबा, चार पीढि़यों को समेटे एक छत Kangra News
तरक्की की रपटीली राहों पर सरपट भाग रहे टूटते परिवारों के लिए तंगरोटी खास गांव का यह परिवार नजीर है।

योल, सुरेश कौशल। Tangroti Khas Joint Family, तरक्की की रपटीली राहों पर सरपट भाग रहे टूटते परिवारों के लिए धर्मशाला उपमंडल के तहत तंगरोटी खास गांव का यह परिवार नजीर है। एक छत, एक चूल्हा और चार पीढि़यों से समेटे 29 सदस्यों का यह परिवार रिश्तों के मजबूत बंधन की गवाही दे रहा है। तंगरोटी खास में पुन्नू राम का यह परिवार समाज को संयुक्त परिवार में रहने का संदेश दे रहा है। हालांकि पुन्नू राम का करीब 15 वर्ष पहले देहांत हो चुका है, लेकिन उनका परिवार एक साथ रहकर हर खुशी व गम एक साथ बांट रहा है। स्वर्गीय पुन्नू राम के परिवार में आठ बेटे और आठ ही बेटियां हैं। सभी बेटियों की शादी हो चुकी है। आठ भाइयों में से बड़े परस राम तथा एक अन्य प्रभात ¨सह का देहांत हो चुका है।

पुन्नू राम ने गरीबी में परिवार का पालन-पोषण किया था और स्वजनो को बिखरने नहीं दिया। दूसरी पीढ़ी में आठों भाइयों ने कड़ी मेहनत कर परिवार को जोडे़ रखा और वर्तमान में एक बड़ी चौधरी ट्रांसपोर्ट को खड़ा किया है। पूरा परिवार एक छत के नीचे इकट्ठा भोजन करता है। तीसरी पीढ़ी में आठों भाइयों के बच्चों सहित पोते भी हैं। 29 सदस्यों का यह परिवार एक साथ खेतीबाड़ी भी करता है। बड़ी बात यह है कि कोरोना काल में भी समूचा परिवार संक्रमण से अछूता रहा। परिवार के सभी सदस्य कोरोना नियमों का पालन करते हैं। परिवार के सदस्य सुभाष चंद बताते हैं कि खेतों में सुबह-शाम कड़ी मेहनत और घर में साफ-सफाई का ध्यान रखने से ही परिवार वैश्विक महामारी से दूर है। बहरहाल यह संयुक्त परिवार आज भी प्यार व एकजुटता के लिए मिसाल बना है।

परिवार के मुखिया सेठा राम का कहना है परिवार में आज तक कोई लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ है। सभी कार्य परिवार की सहमति से ही किए जाते हैं। मुझे आज भी याद है कि हम भाई-बहनों में कभी कोई मनमुटाव नहीं हुआ है।

परिवार के सदस्य सुभाष चंद का कहना है हमने बड़ों से एकजुटता की सीख ली है। शायद यही शिक्षा आज भी हमारे परिवार को बिखरने से बचा सकी है सभी एक साथ रहते हैं और हर निर्णय में एक-दूसरे का सहयोग भी रहता है।

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