फर्जी फोन टैपिंग मामला: मुख्य सचिव के कार्यालय तक पहुंची थी पुलिस, सीआइडी तैयार कर रही एक्शन प्लान
Fake Phone Tapping Case फर्जी फोन टैपिंग मामले की जांच की आंच मुख्य सचिव कार्यालय तक आ गई थी।
शिमला, रमेश सिंगटा। फर्जी फोन टैपिंग मामले की जांच की आंच मुख्य सचिव कार्यालय तक आ गई थी। मुख्यमंत्री कार्यालय और सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने पुलिस अधिकारियों को सीधे रिकाॅर्ड देेने से इन्कार कर दिया था। वहां से कहा गया कि वह डीजीपी के माध्यम से फाइल भिजवाएं, तभी रिकॉर्ड मिल पाएगा। अभी फाइल को उचित मंच से भिजवाने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि सरकार ने क्राइम इन्वेटीगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) को जांच का निर्देश दे दिया।
अब सीआइडी का विशेष जांच दल (एसआइटी) इस रिकॉर्ड को कब्जे में लेगा। एसआइटी 538 पन्नों की जांच रिपोर्ट को खंगालेंगे। पुलिस का तमाम रिकॉर्ड अब इनके पास हैं।
सीआइडी जांच से नामजद आरोपित अधिकारियों, पूर्व अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। नौ वर्ष में जांच तीसरी एजेंसी के पास मामला पहुंच गया है। जल्द ही अधिकारियों से पूछताछ शुरू होगी। जांच नए सिरे से आरंभ होगी।
कौन- कौन हैं आरोपित
पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आइडी भंडारी का आरोप है कि उन्हें पूर्व कांग्रेस सरकार ने फोन टैङ्क्षपग के झूठे केस में फंसाया था। जिन- जिन अफसरों को नामजद किया गया, उनमें शिमला तत्कालीन मुख्य सचिव सु²प्तो राय, तत्कालीन प्रधान सचिव पी मित्रा, तत्कालीन गृह सचिव पीसी धीमान, तत्कालीन सामान्य प्रशासन सचिव शुभाशीष, अभिषेक त्रिवेदी शिमला के तत्कालीन एडीएम, एसडीएम सहित पुलिस महकमे के सीआइडी के तत्कालीन एडीजीपी एसकेबीएस नेगी, तत्कालीन विजिलेंस जांच अफसर आइपीएस एपी ङ्क्षसह, तत्कालीन एचपीपीएस पंकज शर्मा, इंस्पेक्टर मुकेश कुमार आदि शामिल हैं।
अधिकारियों ने साधी चुप्पी
फोन टैपिंग का जिन्न बोतल ने फिर बाहर आने के बाद से पुलिस अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। जांच पर कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। सीआइडी के अधिकारी भी पूरी एहतियात बरत रहे हैं। डीआइजी क्राइम बिमल गुप्ता से संपर्क किया तो कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने इसके पीछे गोपनीयता का हवाला दिया।