फर्जी डिग्री मामला: अब हजारों की नौकरियां संकट में, 20 से अधिक राज्यों में बंटी हैं फर्जी डिग्रियां

Fake Degree Case फर्जी डिग्री से नौकरी कर रहे हजारों लोगों का अब रोजगार छिनने वाला है। फर्जी डिग्री मामले में गठित नई विशेष जांच दल (एसआइटी) अब अन्य राज्यों में दबिश देगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 14 Sep 2020 08:41 AM (IST) Updated:Mon, 14 Sep 2020 08:41 AM (IST)
फर्जी डिग्री मामला: अब हजारों की नौकरियां संकट में, 20 से अधिक राज्यों में बंटी हैं फर्जी डिग्रियां
फर्जी डिग्री मामला: अब हजारों की नौकरियां संकट में, 20 से अधिक राज्यों में बंटी हैं फर्जी डिग्रियां

शिमला, रमेश सिंगटा। फर्जी डिग्री से नौकरी कर रहे हजारों लोगों का अब रोजगार छिनने वाला है। फर्जी डिग्री मामले में गठित नई विशेष जांच दल (एसआइटी) अब अन्य राज्यों में दबिश देगी। सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय ने पैसे लेकर डिग्रियां बांटी है। अब तक की जांच से सामने आया है कि फर्जी डिग्रियां बेचने के लिए बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ है। दो लाख से पांच लाख में एक डिग्री बेची गई। 20 से अधिक राज्यों में इस घोटाले के तार जुड़े पाए गए हैं। इतने राज्यों में लाखों डिग्रियां बांटी गईं। हिमाचल प्रदेश और राजस्‍थान में इनका मुख्‍य ठिकाना रहा।

रसूख के सहारे संस्थान के कर्ताधर्ता शिकायतों को दबा देते थे। इन पर पहले पुलिस भी कार्रवाई नहीं कर पाती थी। अब सीआइडी की एडीजीपी एन वेणुगोपाल की अगुवाई वाली नई एसआइटी बाहरी राज्यों में दबिश देगी। सूत्रों के अनुसार हजारों लोगों ने इन डिग्रियों के आधार पर नौकरियां हासिल की है। हालांकि कितनों को सरकारी क्षेत्र में नौकरियां मिलीं, इसकी सूची तैयार नहीं हो पाई है। लेकिन जिन भी लोगों ने नौकरियां ली होगी, उनका पक्का रोजगार छिनने वाला है। जैसे ही जांच आगे बढ़ेगी, पक्के रोजगार पर आंच आएगी।

पहली बार इतनी बड़ी एसआइटी

हिमाचल प्रदेश में पहली बार हुआ है कि जब एडीजीपी रैंक के अधिकारी को एसआइटी का मुखिया बनाया गया हो। टीम में कुल 19 अधिकारी शामिल हैं। इससे केस की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे पहले कोटखाई छात्रा दुष्कर्म एवं हत्या मामले में तत्कालीन आइजी की अगुवाई में एसआइटी गठित की गई थी। उसमें भी इतने अधिकारी नहीं था, जितने इस एसआइटी में हैं। एसआइटी के लिए भी इस केस को तार्किक अंत तक पहुंचाना आसान नहीं होगा।

सीआइडी ने की थी प्रारंभिक जांच

इससे पहले सीआइडी ने ही प्रारंभिक जांच की थी। बीते बजट सत्र में फर्जी डिग्री घोटाला प्रमुखता से उठा था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सीआइडी जांच के आदेश दिए थे। तब डीजीपी एसआर मरडी थे। जांच एजेंसी ने फर्जीवाड़े के आरोपों में दम पाया था और इसके आधार पर सीआइडी ने केस दर्ज करने की सिफारिश की थी, लेकिन केस सीआइडी ने दर्ज नहीं किया। मरडी ने पुलिस की एसआइटी गठित कर जांच उसे सौंपी। ऐसा क्यों किया, यह सवाल उठा रहा है।

तब भी नहीं की कार्रवाई

निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के अध्यक्ष ने 16 अगस्त, 2017 को प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि मानव भारती विश्वविद्यालय की 103 डिग्रियां फर्जी पाई गई थी। उन्होंने राज्य पुलिस प्रमुख से एफआइआर करने की सिफारिश की थी, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। रसूखदारों के आगे कानून के हाथ बौने साबित हुए थे।

सीएम ने दोनों बार की पहल

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहले भी और अब भी जांच करवाने की पहल की। मौजूदा मानसून सत्र में घोटाले का मुद्दा कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने उठाया। उन्होंने सीबीआइ जांच की मांग उठाई थी। लेकिन सरकार ने एसआइटी गठित कर विपक्ष के आरोपों की धार कुंद की। बकौल जयराम ठाकुर सरकार फर्जी डिग्री मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने माना कि फर्जी डिग्री की संख्या लाखों में हो सकती है।

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