कोरोना काल में दूध पीती बेटी को घर छोड़कर एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा ने निभाई जिम्मेदारी

SDM Baijnath Chavi Nanta कोरोना काल में एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा की सेवाएं काफी अहम रहीं। पिछले साल जब कोरोना की शुरुआत हुई थी तो उस समय बैजनाथ में सब सामान्य था। एसडीएम छवि नांटा लगातार छोटा भंगाल से लेकर बैजनाथ-पपरोला व चढि़यार तक नजर रखे हुए थीं।

By Edited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 04:00 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 10:37 AM (IST)
कोरोना काल में दूध पीती बेटी को घर छोड़कर एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा ने निभाई जिम्मेदारी
कोरोना काल में एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा की सेवाएं काफी अहम रहीं।

बैजनाथ, मुनीष दीक्षित। कोरोना काल में एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा की सेवाएं काफी अहम रहीं। पिछले साल जब कोरोना की शुरुआत हुई थी तो उस समय बैजनाथ में सब सामान्य था। एसडीएम छवि नांटा लगातार छोटा भंगाल से लेकर बैजनाथ-पपरोला व चढि़यार तक नजर रखे हुए थीं। घर में करीब 14 माह की दूध पीती बेटी को छोड़कर छवि नांटा सुबह से शाम तक ड्यूटी निभा रही थीं। यह वह समय था, जब कोई कोरोना के बारे में नहीं जानता था। केवल इतना पता था कि यह वायरस बेहद खतरनाक है। छवि नांटा के पति अमित शर्मा डीएसपी पालमपुर हैं, उस दौर में वह भी क्षेत्र में कानून व्यवस्था संभाल रहे थे।

छवि नांटा बताती हैं कि उस समय लॉकडाउन लग चुका था। गरीब लोगों तक राशन पहुंचाना अहम जिम्मेदारी थी। साथ ही कई लोग स्वास्थ्य व जरूरी सेवाओं के लिए एक जिले से दूसरे व अन्य राज्य भी जा रहे थे। उनके लिए पास बनाने का कार्य भी था। सभी सेवाएं लगातार काम कर रही थी। साथ ही बैजनाथ इसलिए कोरोना काल में अति महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि उस समय यहां जिला कांगड़ा का पहला कोविड केयर सेंटर स्थापित किया गया था। सात मई, 2020 को यहां कोरोना संक्रमित पहला व्यक्ति लाया गया था। इसके बाद लगातार यहां बनाए गए कोविड केयर सेंटर में जिलेभर से कोरोना संक्रमित लोग एंबुलेंस के जरिए पहुंचने लगे। इन सब लोगों के लिए तीन समय भोजन की व्यवस्था से लेकर अन्य सभी दिक्कतों को दूर करने की जिम्मेदारी छवि नांटा पर थी। उन्होंने जिम्मेदारी के साथ इसे निभाया और छह माह तक कोई छुट्टी भी नहीं की। :

एसडीएम बैजनाथ छवि नांटा का कहना है कोरोना का जब दौर शुरू हुआ तो उस समय मेरे पास उपमंडल की जिम्मेदारी थी। लॉकडाउन लग चुका था। ऐसे में एक एसडीएम होने के नाते मेरी जिम्मेदारी सबसे अधिक थी। ऐसे में किसी भी सूरत में मैं ड्यूटी से पीछे नहीं हट सकती थी। आज अच्छा लगता है कि लोगों के सहयोग से कोरोना के बड़े दौर को हमने पार किया और अब भी कार्य में लगे हुए हैं।

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