एक और विशेषज्ञ ने छोड़ा टांडा

डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा से विशेषज्ञों के पलायन की सूची लंबी होती जा रही है। इसमें अब रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डा. लोकेश राणा का भी नाम जुड़ गया है। डा. लोकेश राणा ने एम्स बिलासपुर में कुछ दिन पहले ज्वाइन कर लिया है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Sat, 19 Dec 2020 07:42 PM (IST) Updated:Sat, 19 Dec 2020 07:42 PM (IST)
एक और विशेषज्ञ ने छोड़ा टांडा
डा. लोकेश राणा, रेडियोलॉजी विशेषज्ञ एम्स बिलासपुर। जागरण

जागरण संवाददाता, टांडा : डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा से विशेषज्ञों के पलायन की सूची लंबी होती जा रही है। इसमें अब रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डा. लोकेश राणा का भी नाम जुड़ गया है। डा. लोकेश राणा ने एम्स बिलासपुर में कुछ दिन पहले ज्वाइन कर लिया है।

डा. लोकेश राणा टांडा के रेडियोलॉजी विभाग में विभिन्न विधियों से अल्ट्रासाउंड व एमआरआइ करने के लिए जाने जाते थे। ट्रस गाइडिड बॉयोप्सी, एमआर आर्थोग्राम व अल्कोहल अबलेशन तकनीक शामिल है। इससे कैंसर व हड्डी के मरीजों के उपचार में विशेषज्ञों को मदद मिलती थी। उन्होंने रेडियोलॉजी पर दो किताबें भी लिखी हैं व उनके 48 शोध पत्र विभिन्न जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। टांडा मेडिकल कॉलेज से अब तक मनोरोग विशेषज्ञ डा. रुपाली, एंडोक्रिनोलॉजी विशेषज्ञ डा. प्रयेंद्र सिंह ठाकुर, न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ डा. आशीष शर्मा, प्लास्टिक सर्जरी के डा. नवनीत, शिशु रोग विशेषज्ञ डा. स्मृति व प्रशासनिक अधिकारी डा. विक्रांत कंवर एम्स बिलासपुर में ज्वाइन कर चुके हैं। टांडा के कुछ और विशेषज्ञों व विभिन्न स्टाफ सदस्यों ने भी अप्लाई किया है।

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इसका श्रेय जाता है डा. लोकेश को

-रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डा. लोकेश राणा टांडा मेडिकल कॉलेज में ट्रस गाइडिड बॉयोप्सी तकनीक से अल्ट्रासाउंड करते थे। इससे पैथोलॉजी व सर्जरी विशेषज्ञों को प्रोसटेट कैंसर के इलाज में मदद मिलती थी। मरीजों को पीजीआइ चंडीगढ़ या एम्स दिल्ली नहीं जाना पड़ता था।

-वह एमआर आर्थोग्राम तकनीक से एमआरआइ करते थे। इससे हड्डी के जोड़ों में सूक्ष्म चोट का पता लगाना संभव हो पाया था। इससे हड्डी रोग विशेषज्ञों को ऐसे मरीजों के उपचार में मदद मिलती थी। यह प्रदेश में सिर्फ टांडा में ही संभव हो पाया था और डा. लोकेश राणा ने इसे 2019 में शुरू किया था।

-अल्कोहल अबलेशन विधि से अल्ट्रासाउंड करके डा. लोकेश राणा लिवर में कम मात्रा या छोटे आकार में फैले कैंसर का पता लगाते थे। इससे रेडियोग्राफी विभाग के विशेषज्ञों को कैंसर के मरीजों के उपचार में मदद मिलती थी।

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मेरा ध्येय देवभूमि हिमाचल के लोगों की सेवा करना है। एमबीबीएस भी टांडा में की है और जितने भी साल यहां लोगों की सेवा करने का मौका मिला अपनी ओर से 100 फीसद करने की कोशिश की। कई कारण रहे जिनकी वजह से टांडा छोडना पड़ा। एम्स बिलासपुर में भी प्रदेशवासियों की सेवा में कोई कसर नहीं रखूंगा।

-डा. लोकेश राणा, रेडियोलॉजी विशेषज्ञ एम्स बिलासपुर।

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