डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था अधूरी
संवाद सहयोगी धर्मशाला स्मार्ट सिटी धर्मशाला में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था अभी त
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : स्मार्ट सिटी धर्मशाला में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था अभी तक पुख्ता नहीं हो पाई है। इसकी वजह शहर के 30 फीसद शहरियों की ओर से मासिक शुल्क न देना है। हालांकि नगर निगम धर्मशाला ने शहर में सफाई व्यवस्था को पुख्ता करने के डोर-टू-डोर कूड़ा एकत्र करने की मुहिम को पुख्ता बनाने का प्रयास तो किए हैं। 70 फीसद शहरियों को छोड़ 30 फीसद शहरी मासिक शुल्क देने के लिए तैयार नहीं है। बकायदा निगम की हुई आमसभा की बैठकों में भी मुद्दा गूंजता रहा है और महापौर सहित निगम अधिकारियों का यही तर्क रहा है कि व्यवस्था को जल्द दुरुस्त किया जाएगा। इस व्यवस्था के तहत राजकीय अवकाश वाले दिन भी कई वार्डों में सफाई कर्मी ही नहीं आते हैं।
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ये हैं शुल्क तय
डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था के तहत घरों से 50 रुपये, दुकानों का 100 रुपये मासिक शुल्क है। वहीं 10 कमरों वाले होटलों का 500 जबकि इससे अधिक कमरों वाले होटलों का 1000 रुपये तक का शुल्क निर्धारित है।
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सप्ताह के छह दिन तो सफाई कर्मी डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए आते हैं। लेकिन रविवार को नहीं आते हैं। व्यवस्था के तहत निगम को रविवार को कर्मियों को घरों से कूड़ा उठाने के निर्देश दिए जाने चाहिए।
-अधिकाश डोगरा।
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अभी तक डोर-टू-डोर कूड़ा उठाए जाने की व्यवस्था में कई खामियां हैं, इन्हें दूर किया जाना चाहिए। शहर को साफ बनाने की दिशा में सफाई व्यवस्था को पुख्ता बनाने की आवश्यकता है। यदि निगम मासिक शुल्क ले रहा है तो घरों से कूड़ा उठाया जाना चाहिए।
-अतुल भारद्वाज।
-------------- हमारे वार्ड में रोजाना सफाई कर्मी आते हैं और कूड़ा उठा रहे हैं। इसके लिए बकायदा मासिक शुल्क भी जमा करवाया जा रहा है। माह भर डोर-टू-डोर कूड़ा उठाए जाने की एवज में 50 रुपये की राशि कुछ भी नहीं है।
-संतोष कुमार।
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अभी तक पूरी तरह से डोर-टू-डोर कूड़ा उठाए जाने की व्यवस्था नहीं बन पाई है। खासकर मर्ज क्षेत्रों के वार्डों में इस व्यवस्था को पुख्ता बनाए जाने की जरूरत है और इसके लिए निगम सहयोग भी दिया जा रहा है। जल्द ही इस मामले में अन्य पार्षदों से विचार-विमर्श कर व्यवस्था को पुख्ता बनाया जाएगा।
-देवेंद्र जग्गी, पूर्व महापौर एवं पार्षद।
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शहर में 70 फीसद डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था चल रही है। 30 फीसद शहरी मासिक शुल्क देने को तैयार नहीं हैं। इस संबंध में उन्हें जागरूक किया जा रहा है कि वह मासिक शुल्क दें। जब यह व्यवस्था 100 फीसद सुचारू होगी तो शहर में कूड़ेदानों की भी आवश्यकता नहीं रहेगी।
-ओंकार नैहरिया, महापौर, नगर निगम धर्मशाला।