World Rabies Day: हिमाचल में कुत्‍तों के काटने के मामले बढ़े, साल में 42 हजार केस, जानिए रेबीज के लक्षण

World Rabies Day 2021 हिमाचल में कुत्तों के काटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रदेश में सालाना 42 हजार मामले कुत्तों के काटने के आते हैं। राहत की बात है कि प्रदेशभर में रेबीज से होने वाली मौतों की दर बहुत कम है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 08:45 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 08:45 AM (IST)
World Rabies Day: हिमाचल में कुत्‍तों के काटने के मामले बढ़े, साल में 42 हजार केस, जानिए रेबीज के लक्षण
हिमाचल में कुत्तों के काटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है

शिमला, रामेश्वरी ठाकुर। World Rabies Day 2021, हिमाचल में कुत्तों के काटने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। लावारिस कुत्ते अधिक हिंसक हो रहे हैं। प्रदेश में सालाना 42 हजार मामले कुत्तों के काटने के आते हैं। राहत की बात है कि प्रदेशभर में रेबीज से होने वाली मौतों की दर बहुत कम है। सरकारी अस्पतालों से लेकर छोटे स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज इंजेक्शन मुफ्त मिलने और लोगों में जागरूकता बढऩे के बाद मौत का आंकड़ा घटा है। वहीं, छह साल पहले प्रदेश भर में सालाना 10 से 12 हजार मामले कुत्तों के काटने के आते थे। इलाज पर खर्च अधिक होने के डर से लोग अस्पताल नहीं आते थे। इससे लोगों की मौत हो जाती थी। अब इंजेक्शन आसानी से उपलब्ध होने के बाद औसतन 35 में से महज एक व्यक्ति की मौत हो रही है।

राज्य महामारी विशेषज्ञ व पद्मश्री डा. उमेश भारती का कहना है कि लोगों में जागरूकता बढऩे व सरकार के प्रयास से रेबीज के कारण हो रही मौतों पर काफी हद तक अंकुश लगा है। लावारिस कुत्तों की संख्या बढऩे से रेबीज का खतरा बढ़ जाता है।

रेबीज के लक्षण

रेबीज इंसानों में जानवरों से संचारित होता है। जब कोई संक्रमित जानवर किसी अन्य जानवर या इंसान को काटता है तब रेबीज संचारित हो सकता है। किसी संक्रमित जानवर के लार से भी रेबीज हो सकता है। इंसानों में रेबीज के अधिकतर मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। रेबीज के लक्षणों में दर्द होना, थकावट महसूस करना, सिरदर्द होना, बुखार आना, मांसपेशियों में जकडऩ होना, तिलमिलाहट होना, चिड़चिड़ा होना, उग्र स्वभाव होना व व्याकुल होना शामिल हैं।

शिमला मेें बढ़ा बंदरों व कुत्तों का आतंक

शिमला में बंदरों व कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में रोजाना 10 से 15 और रिपन में रोजाना आठ से 10 लोग बंदरों और कुत्तों के काटने के कारण पहुंचते हैं। आइजीएमसी के मेडिसिन स्टोर इंचार्ज डा. राहुल गुप्ता का कहना है कि आइजीएमसी में एंटी रेबीज वैक्सीन और सीरम का पर्याप्त मात्रा में स्टाक है। जिले के स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर क्षेत्रीय, सिविल अस्पतालों में वैक्सीन का पर्याप्त इंतजाम किया गया है। कुत्ता, बंदर, बिल्ली आदि के काटने पर इंसान को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाया जाता है। इंजेक्शन लगवाने के लिए लोगों को ज्यादा परेशान न होना पड़े, इसके लिए सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। स्वास्थ्य संस्थानों में सरकार की ओर से बिना शुल्क के इंजेक्शन लगवाए जाते हैं। बाजार में मिलने वाले इंटरा मस्कुलर के एक इंजेक्शन की कीमत 270 से 330 रुपये के बीच है। ये पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। पहले दिन, तीसरे दिन, सातवें दिन, 14वें दिन और 28वें दिन लगता है। इस तरह बाजार से इंजेक्शन लगवाने पर 1500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन अस्पतालों में ये इंजेक्शन मुफ्त लगाए जाते हैं।

शहर में आवाजाही बढऩे से बढ़ा बंदरों का आतंक

शिमला में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ गई है। रोजाना हजारों पर्यटक शिमला पहुंच रहे हैं। रिज मैदान, मालरोड सहित शहर के अन्य स्थानों पर भीड़ इक्‍ट्ठी हो रही है। खाने की तलाश में बंदर आवाजाही कर रहे लोगों पर झपट पड़ते हैं। महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों को आवाजाही करने में परेशानी झेलनी पड़ती है। छोटा शिमला, जाखू, कसुम्पटी, विकासनगर, भराड़ी, बस स्टैंड सहित कई वार्डों में बंदर और आवारा कुत्ते आए दिन लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। वहीं शिमला में हजारों की संख्या में आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं लेकिन नगर निगम के तहत केवल 150 ही पंजीकृत हैं।

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