हिमाचल के हर कालेज में बनेगी आपदा प्रबंधन योजना, ये पांच जिले भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील
Disaster Management Plan हिमाचल प्रदेश के हर कालेज की आपदा प्रबंधन योजना बनेगी। उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक ने सभी डिग्री कालेजों संस्कृत फाइन आर्ट और पीजी कालेजों को प्लान को तैयार करने के निर्देश दिए हैं। निदेशक डा. अमरजीत शर्मा ने कहा कि कालेज प्रधानाचार्यों को कहा गया है
शिमला, जागरण संवाददाता। Disaster Management Plan, हिमाचल प्रदेश के हर कालेज की आपदा प्रबंधन योजना बनेगी। उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक ने सभी डिग्री कालेजों, संस्कृत, फाइन आर्ट और पीजी कालेजों को प्लान को तैयार करने के निर्देश दिए हैं। निदेशक डा. अमरजीत शर्मा ने कहा कि कालेज प्रधानाचार्यों को कहा गया है कि वे 26 जुलाई से पहले यह प्लान तैयार कर निदेशालय को भेजें। शिक्षा विभाग ने इसके लिए स्कूल सेफ्टी प्रोजेक्ट का नाम दिया है।
प्रदेश के पांच जिले चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील हैं। भूकंप के अलावा अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा भी प्रदेश में आ सकती है। इसे देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी विभागों को इस पर योजना तैयार करने को कहा था।
ये बताना होगा
प्लान में बताना होगा कि यदि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा आती है तो कालेजों के पास इससे निपटने के क्या साधन हैं। संस्थान के आसपास कौन सा स्थान है, जहां पर विद्यार्थियों सहित स्टाफ को सुरक्षित रखा जा सके। शिक्षकों और गैर शिक्षकों को सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें माकड्रिल भी होगी। आपदा प्रबंध सेल इस योजना को लागू करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन फंड, क्षमता निर्माण ग्रांट आदि से बजट का प्रबंध करेगा। केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियों से भी फंड एकत्र करने का प्रयास होगा।
लैपटाप की खरीद जल्द करने के लिए भेजा पत्र
शिमला। प्रदेश के मेधावी विद्यार्थियों के लिए लैपटाप खरीद का मामला दो साल से लटका हुआ है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि वह लैपटाप की खरीद प्रक्रिया को जल्द पूरा करें, ताकि इन्हें मेधावियों को दिया जा सके। उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक डा. अमरजीत शर्मा ने कहा कि एक माह के भीतर खरीद पूरी करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि विभाग ने योजना तैयार की है कि आगामी वर्ष के लिए लैपटाप खरीद का टेंडर एक साल की बजाय दो साल के लिए ही किया जाए। राज्य इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम को इस बारे में कहा गया है।