कबाद हाउस से मिनी इस्त्राइल के नाम से भी मशहूर धर्मकोट

पर्यटन स्थल मैक्लोडगंज से करीब तीन किलोमीटर दूर धर्मकोट गांव है। इसे

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 Jan 2021 04:54 AM (IST) Updated:Sun, 31 Jan 2021 04:54 AM (IST)
कबाद हाउस से मिनी इस्त्राइल के नाम से भी मशहूर धर्मकोट
कबाद हाउस से मिनी इस्त्राइल के नाम से भी मशहूर धर्मकोट

मुनीष गारिया, धर्मशाला

पर्यटन स्थल मैक्लोडगंज से करीब तीन किलोमीटर दूर धर्मकोट गांव है। इसे मिनी इस्त्राइल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां इस्त्राइल के लोग भी रहते हैं। गांव में वही होता है जो इन्हें भाता है। धर्मकोट गांव में 'कबाद हाउस' यानी पूजा स्थल है। इसमें इस्त्राइल से आने वाले लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। तीन मंजिला भवन के भीतर यहूदी धर्म के लोग क्या करते हैं आज तक कोई नहीं जान पाया है। स्थानीय लोगों को भी भवन के पास केवल इस्त्राइल की हिबू्र भाषा के शब्द ही सुनाई देते हैं।

पसंदीदा स्थल है धर्मकोट

धर्मकोट इस्त्राइल से आने वाले लोगों का पसंदीदा स्थल है। इस्त्राइल से आने वाले लोगों के लिए कबाद हाउस हमेशा खुला रहता है लेकिन मार्च में लॉकडाउन होने से इसे बंद कर दिया था। अब एक-दो लोग ही यहां रहते हैं। कबाद हाउस में रहने वाले लोग अन्य किसी व्यक्ति से बात तक नहीं करते हैं। स्थानीय लोग भी आज तक इसके भीतर नहीं गए हैं।

अब कम हो गई इस्त्राइल के लोगों की संख्या

धर्मकोट में पहले इस्त्राइल के लोगों की संख्या अधिक थी लेकिन अब कम हो गई है। कारण यह बताया जा रहा है कि कुछ साल पहले तक फुलमून पार्टियों के नाम पर ये लोग गुप्त कोड के जरिए विदेशियों को इकट्ठा करते थे और यहां जमकर नशे का प्रयोग होता था। पुलिस के लगातार दबिश देने से फुलमून पार्टियों पर शिकंजा कसा तो इन लोगों ने जिले के दूसरे क्षेत्रों को ठिकाना बना लिया। पुलिस ने यहां पर भी दबिश दी। इसके बाद यहां इस्त्राइल के लोगों का आना कम हो गया।

ये हैं इनके पसंदीदा स्थल

पर्यटक इस्त्राइल से मुंबई या दिल्ली से मैक्लोडगंज पहुंचते हैं। इसके बाद वे कसोल व लेह-लद्दाख में भी समय बिताते हैं। अकसर इनका आगमन अप्रैल में होता है। लेह-लद्दाख के बादके नवंबर व दिसंबर में गोवा व राजस्थान के लिए रवाना हो जाते हैं।

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