ना धर्मशाला को मिला दूसरी राजधानी का दर्जा, ना ही बढ़ाया गया शीतकालीन सत्र का समय: मनकोटिया

बेल व जेल वालों को चुनाव लड़ने का कोई हक नहीं है। भाजपा सरकार के समय में तबादलों के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं जिसमें कई बड़े नाम शामिल हैं और आने वाले विधानसभा के चुनावों से पहले इसका पर्दाफाश किया जाएगा।

By Richa RanaEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 03:40 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 03:40 PM (IST)
ना धर्मशाला को मिला दूसरी राजधानी का दर्जा, ना ही बढ़ाया गया शीतकालीन सत्र का समय: मनकोटिया
धर्मशाला को अभी तक दूसरी राजधानी नहीं बनाया गया है।

धर्मशाला ,जागरण संवाददाता। बेल व जेल वालों को चुनाव लड़ने का कोई हक नहीं है। भाजपा सरकार के समय में तबादलों के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं जिसमें कई बड़े नाम शामिल हैं और आने वाले विधानसभा के चुनावों से पहले इसका पर्दाफाश किया जाएगा। आज भी कई मसले हैं जिन पर न तो भाजपा और नहीं कांग्रेस संजीगता से काम कर रही है। धर्मशाला को कांग्रेस द्वारा दूसरी राजधानी का दर्जा दिया गया था। पर कांग्रेस सहित भाजपा ने इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया। जहां बात तपोवन में शीतकालीन सत्र की थी, उसे भी अभी तक बढ़ाकर चाैदह दिनों के लिए नहीं किया गया है, जो कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही की नाकामी को दर्शाता है।

पूर्व मंत्री मेजर सिंह मनकोटिया ने पत्रकार सम्मेलन में कहा कि अब शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है तो कांग्रेस को सही ढंग से विपक्ष की भूमिका निभाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी का दर्जा देना, शीतकालीन सत्र के समय को बढ़ाने सहित कांगड़ा चंबा में बड़े उद्योग, केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण, कांगड़ा हवाई अड्डा के विस्तार, पौंग बांध विस्थापितों के मुद्दों को उठाना कांग्रेस की तरफ से शीतकालीन सत्र में पहल होनी चाहिए। लेकिन निचले क्षेत्र के इन मुद्दों को कांग्रेस भी सही ढंग से उठा नहीं पाई है। मनकोटिया ने कहा कि केंद्रीय विश्व विद्यालय की सबसे पहले स्थापना शाहपुर में हुई थी, इसलिए शाहपुर को उसका हक मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि शाहपुर के बाद सीयू धर्मशाला व देहरा में सीयू का निर्माण प्रस्तावित हुआ पर धर्मशाला से पूर्व विधायक रहे सुधीर शर्मा भी सीयू को देहरा जाने से नहीं रोक सके। उन्होंने कहा कि सरकार के हालात यह हैं कि उपचुनाव में उन्हें हार मिली है तो अब पुलिस कर्मी भी आंदोलनरत हो रहे हैं। ऐसा प्रदेश में पहली बार हुआ है।

मैं किसी पार्टी में नहीं समर्थकों के फैसले के साथ

मैं किसी पार्टी के साथ नहीं हूं। आने वाला विस चुनाव लड़ा जाएगा। मेरे समर्थक जो फैसला लेंगे उसके मुताबिक अगला कदम उठाया जाएगा, लेकिन इतना तय है कि कांग्रेस व भाजपा द्वारा निचले क्षेत्र की जनता की गई अनदेखी का खामियाजा दोनों ही राजनीतिक दलों को भुगतना पड़ेगा।

कांग्रेस में परिवारिक सीमांतवाद

कांग्रेस में अभी तक परिवारिक सीमांतवाद है। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार के लोग आगे आ रहे हैं जो कि गलत है। कांग्रेस को परिवारवाद खत्म करने की जरूरत है। लेकिन वह इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा पाई है।

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