सहेजी पानी की हर बूंद, लहलहा रही फसल
सुरेश कौशल योल जल है तो कल है के महत्व को समझा है जिला कांगड़ा के तहत पटियालकर
सुरेश कौशल, योल
जल है तो कल है के महत्व को समझा है जिला कांगड़ा के तहत पटियालकर गांव के देवराज ने। एक सोच वर्षा जल संग्रहण के लिए आई और कृषि विभाग से साझा की। विभाग से सहायता मिली तो वर्षा जल संग्रहण के लिए कदम उठाए। आज देवराज खुशहाल जीवन जी रहे हैं और खेतीबाड़ी के लिए किसी भी सिंचाई योजना पर निर्भर नहीं हैं।
देवराज ने घर में वर्षा जल संग्रहण के लिए कृषि विभाग की अनुदान राशि से 14 हजार लीटर की क्षमता वाले जल संग्रहण टैंक का निर्माण किया है। संग्रहित किए गए पानी से चार कनाल भूमि की सिचाई कर रहे हैं। साथ ही रोजाना इस्तेमाल के लिए भी पानी का उपयोग कर रहे हैं। बकौल देवराज, वर्ष 2012 में जल संग्रहण टैंक पर करीब एक लाख 48 हजार रुपये खर्च हुए थे और इसमें से 50 हजार रुपये स्वयं वहन किए थे। घर की छत पर वर्षा जल संग्रहण के लिए सिस्टम तैयार किया है और उसमें मिनी फिल्टर टैंक भी लगाया है। फिल्टर पानी से घरेलू जरूरतों को पूरा करते हैं। देवराज बताते हैं कि जब टैंक का निर्माण किया था तो उस समय गांव में पानी की किल्लत थी। खासकर खेतों की सिचाई के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ता था। अब खेतों में फसलें लहलहा रही हैं।
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पंचायत में वर्षा जल संग्रहण के लिए यह पहला ही टैंक बना है। पंचायत में अब अन्य लोग भी रुचि लेने लगे हैं। तीन अन्य लोगों ने भी इस बाबत आवेदन किया है।
-रशमा देवी, पंचायत प्रधान पटियालकर