भवारना में बेटी ने दी पिता की चिता को मुखाग्नि
बेटा ही कुल का दीपक होता है और बेटे के बिना चिता को मुखाग्नि कौन देगा यह बातें अब बीते जमाने की बात होती जा रही हैं। बेटी ने पिता की चिता को न केवल मुखाग्नि दी अपितु अंतिम संस्कार की हर रस्म निभाई।
भवारना,शिवालिक नरयाल। बेटा ही कुल का दीपक होता है और बेटे के बिना चिता को मुखाग्नि कौन देगा यह बातें अब बीते जमाने की बात होती जा रही हैं। शनिवार को भी ऐसी ही पुरानी रूढ़ियां ओर परंपराएं उस समय टूटती नजर आईं जब एक बेटी ने पिता की चिता को न केवल मुखाग्नि दी अपितु अंतिम संस्कार की हर वो रस्में निभाएं जिसकी कल्पना कभी एक पुत्र से की जाती रही है।
ग्राम पंचायत बड़घवार के वार्ड नंबर छह के निवासी सेवानिवृत शिक्षक देस राज सूद पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे कि शुक्रवार देर रात उनकी तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई। इससे पहले कि उनके परिवार वाले उन्हें किसी अस्पताल में ले जाकर चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाते उन्होंने घर में ही अंतिम सांस ले ली।
देसराज सूद की पत्नी निर्मला देवी भी शिक्षक ही सेवानिवृत हुई हैं जबकि उनकी बेटी भी शालिनी सूद भी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल राजपुर में बतौर प्रवक्ता शिक्षा की लो जगा रही हैं।जबकि देस राज सूद के बेटे शैलेंद्र सूद की 10-12 साल पहले एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
परिवार में उनकी पत्नी के अलावा उनकी बहू व पोती है। शिक्षा से जुड़े इस परिवार ने जहां बेटा बेटी के भेद को खत्म कर एक मिसाल पेश की है वहीं उन रूढ़िवादी परम्पराओं को भी दरकिनार कर लोगों को भी एक सीख दी है। अपने पिता से अधिक लगाव होने के कारण उनकी बेटी शालिनी सूद ने चिता को मुखाग्नि देने की इच्छा पारिवारिक सदस्यों से जताई।
जिसके बाद सबकी सहमति से उसने शनिवार को अपने पिता देसराज सूद की चिता को मुखाग्नि देकर समाज को यह बता दिया कि बेटियां भी किसी स्थिति में बेटों से कम नहीं होतीं और बेटियां भी बेटों के सारे फर्ज अदा कर सकती हैं। शालिनी ने रुलाई और भावनाओं पर काबू करते हुए जहां चिता को मुखाग्नि दी वहीं हिम्मत से अंतिम संस्कार की सभी रस्में भी पूरी कीं।
देसराज सूद की अंतिम यात्रा में ग्राम पंचायत बड़घवार के उपप्रधान शिवालिक नरयाल ,ब्लॉक समिति सदस्त सोनी गुप्ता, मदर टैरेसा संस्था की अध्यक्षा बबली शर्मा सहित सीमित लोगों ने ही कोविड नियमों का पालन करते हुए भावपूर्ण शामिल हुए। अपने मृदुभाषी और हंसमुख स्वभाव के चलते देसराज सूद सबके चहेते थे।उनके जाने से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।