स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण सूखी डल झील: मनोज कुमार

डल झील के सूखने को लेकर गद्दी नेता मनोज कुमार ने स्थानीय प्रशासन व लोक निर्माण को जिम्मेवारी ठहराते हुए प्रशासन को जिम्मेवारी मंजूर करने को कहा है। धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि डल झील में जो मछलियां मरी हैं वह बहुत दुखदाई था।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 01:09 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 01:09 PM (IST)
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही  के कारण सूखी डल झील: मनोज कुमार
मनोज कुमार ने स्थानीय प्रशासन को डल झाील की जिम्‍मेवारी लेने कहा है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। डल झील के सूखने को लेकर गद्दी नेता मनोज कुमार ने स्थानीय प्रशासन व लोक निर्माण की जिम्मेवारी ठहराते हुए प्रशासन को जिम्‍मेवारी लेने कहा है। धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि डल झील में जो मछलियां मरी हैं वह बहुत दुखदाई था। झील में कई दिनों से रिसाव हो रहा था और जलस्तर गिर रहा था।

इसकी स्थानीय शासन व प्रशासन सभी को जानकारी थी। इसके बावजूद किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। जब झील पूरी तरह से सूख गई और मछलियां मरने लगीं तो प्रशासन भी जागने लगा। इसलिए मछलियों के मरने की प्रशासन और मंदिर कमेटी खुद जिम्मेवारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह झील कई सालों से शासन और प्रशासन के अनदेखी का शिकार हो रही है। 2007-08 जब वह पंचायत प्रतिनिधि थे उस समय झील में गाद भरने लगी थी। उन्होंने तत्कालीन एसडीएम धर्मशाला के सहयोग से देशी तकनीकी लगाकर यानि रेत व बजरी की बोरियां भरकर रिसाव वाले क्षेत्र में डाली दीं, ताकि मछलियों को जब तक अन्यत्र शिफ्ट नहीं किया जाता, तब तक रिसाव रोका जा सके।

उसके बाद एक मुहिम छेड़ी जिसमें तिब्बतियों और स्थानीय लोगों को जोड़ा और ड्रेन बनाई। उस समय 8-9 फ़ीट सिल्ट निकाली। उसके बाद कई साल तक झील भरी रही। उस समय हजारों मछलियां थी हमने उसी भी सुरक्षित कर लिया था, इस बार तो सिर्फ सैकड़ों में ही थी। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले स्थानीय प्रशासन ने झील की सुंदरीकरण के लिए एक कंपनी के जिम्मेवारी दी और कंपनी अव्यस्थित तरीके से सिर्फ पैसा खर्च करती रहीं। झील में स्लेटें लगा दी जबकि वहां अभी डी-सिल्टिंग का काम होना है। सुंदरता के नाम पर क्रेट लगा दिए।

उन्होंने बताया कि इसको लेकर उन्होंने एक सुझाव पत्र डीसी राकेश प्रजापति को दिया इस पर कोई काम नही हुआ। हम चाहते है इसके अस्तित्व को बचाया जाए। जब अस्तित्व ही नही होगा थी सुन्दरीकरण का क्या फायदा होगा। झील के नाम के पैसे का दुरूपयोग सहन नही होगा। सड़क पर उतरकर विरोध होगा। पिछले 15 सालों से प्रशासन विशषज्ञों को ही नही ला पाए। यहां मिट्टी इकट्ठा होने का कारण लोक निर्माण विभाग है उन्ही को ये मिट्टी निकालनी चाहिए। सरकार के नुमाइंदे आते हैं तो पहले पता कर लेते है कि जनता तो वहां नहीं है।

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