हिमाचल में अब चेरी के साथ सेब और सब्‍ज‍ियां खरीदने भी खेतों में पहुंचेंगी नामी कंपनियां, पढ़ें खबर

Company Purchase Vegetables कोरोना काल में चेरी के साथ अब गोभी मटर के अलावा अन्य सब्जियों की खरीद के लिए नामी कंपनियां किसानों के खेतों में ही पहुंचेंगी। बागवान अपना सेब भी बागीचे में ही बेच सकें इसकी भी व्यवस्था की जा रही है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:45 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 07:26 AM (IST)
हिमाचल में अब चेरी के साथ सेब और सब्‍ज‍ियां खरीदने भी खेतों में पहुंचेंगी नामी कंपनियां, पढ़ें खबर
अब गोभी, मटर के अलावा अन्य सब्जियों की खरीद के लिए नामी कंपनियां किसानों के खेतों में ही पहुंचेंगी।

शिमला, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में चेरी के साथ अब गोभी, मटर के अलावा अन्य सब्जियों की खरीद के लिए नामी कंपनियां किसानों के खेतों में ही पहुंचेंगी। बागवान अपना सेब भी बागीचे में ही बेच सकें, इसकी भी व्यवस्था की जा रही है। हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन्न बोर्ड ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। रिलायंस एग्रो, सफल, अदानी, बिग बास्केट जैसी कंपनियों से बोर्ड ने संपर्क साध लिया है। कंपनियों ने इन दिनों चेरी की खरीद के लिए अपने कलेक्शन सेंटर खोले हैं। अब बोर्ड प्रयास कर रहा है कि यह कंपनियां किसानों की सब्जियों को भी अच्छे दामों में खरीदें। बोर्ड भी इस पर निगरानी रखेगा कि किसानों व बागवानों को उनकी फसलों के अच्छे दाम मिलें, जो कंपनियां उनका माल खरीदे उसकी पेमेंट समय पर हो सके।

कार्टन के लिए अभी से तैयारियां

कोरोना काल में शुरू होने वाले सेब सीजन में बागवानों को कार्टन की कमी नहीं खलेगी। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जिला शिमला में इस बार दो करोड़ से कम सेब की पेटियां होने का अनुमान है। हिमफेड और एचपीएमसी ने अभी से कार्टन की सप्लाई के लिए व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। जल्द ही इसको लेकर कंपनियों को इम्पैनल कर दिया जाएगा। कार्टन बनाने वाली कंपनियों से भी संपर्क साधा जा रहा है।

कई कंपन‍ियां साध रहीं संपर्क

कृषि विपणन बोर्ड के अधिकारियों का कहना है चेरी की खरीद के लिए कई कंपनियां सीधे बागवानों से संपर्क साध रही है। गोभी, मटर सहित अन्य सब्जियां व आने वाले दिनों में सेब की फसल के बागवानों को अच्छे दाम मिले, बागीचे में ही उनका उत्पाद बिक जाए इसकी व्यवस्था की जा रही है। इन कंपनियों से संपर्क साधा गया है। ये बागवानों के उत्पाद को बागीचे में ही खरीदने को तैयार हैं।

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