मुख्यमंत्री को अपनी पीड़ा बताने के लिए काफिले के आगे आ गई बुजुर्ग ...और सीएम पहुंच गए मजबूर मां के घर
जिला मंडी के द्रंग विधानसभा के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के काफिले के बीच एक महिला आ गई व सीएम की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया। नौ मील गांव की लक्ष्मी देवी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के काफिले के आगे खड़ी हो गई।
मंडी, मुकेश मेहरा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रविवार को मंडी जिले के द्रंग हलके के दौरे पर थे। तय समय पर मुख्यमंत्री का काफिला द्रंग के लिए रवाना हुआ। जगह-जगह लोग उनका स्वागत कर रहे थे, लेकिन सभा स्थल भटोग से करीब चार किलोमीटर पीछे टांडू पंचायत के पाखरी गांव में 70 साल की लक्ष्मी देवी अकेली खड़ी थी। नौ बजकर 45 मिनट पर जब मुख्यमंत्री का काफिला वहां से गुजरा तो लक्ष्मी देवी एक हाथ में हार और एक हाथ में अर्जी थामे गाड़ी के नजदीक आ गई। आंखों में बेबसी के आंसू लिए महिला सीएम के समक्ष अपनी बात रखना चाहती थी। मुख्यमंत्री के सुरक्षा कॢमयों ने उन्हेंं रोका लेकिन जयराम ने सुरक्षाकर्मियों को टोक दिया। सीएम के पास पहुंची इस वृद्धा ने रुंधे गले से 22 साल से कोमा में पड़े उनके बेटे को देखने और उनकी मदद की गुहार लगाई। एक मां की आंखों छलके आंसुओं को देख मुख्यमंत्री भी गाड़ी से उतरे और महिला के घर की ओर चल दिए। यह देखकर मुख्यमंत्री के साथ काफिले में चल रहे अफसर और सुरक्षा कर्मी भी एकदम से दौडऩे लगे। सड़क से कुछ ही दूरी पर जब लक्ष्मी देवी के घर सीएम पहुंचे तो 21 साल से बिस्तर पर पड़े 47 वर्षीय सूरजमणि की हालत देखकर उनका दिल भी पसीज गया। सूरजमणि को सांस लेने और खाने के लिए पाइप लगी है। मुख्यमंत्री ने महिला से अर्जी लेते हुए उस पर तुरंत एक लाख रुपये देने का आदेश दिया। मुख्यमंत्री ने अफसरों को आदेश दिया कि परिवार को तुरंत सहारा योजना में शामिल कर लाभ दें। सहारा योजना के तहत बीमारी से लाचार व्यक्तियों को तीन हजार रुपये मासिक दिए जाते हैं। बिस्तर पर पड़े इस बेटे का बूढ़ी मां कई साल से इसी तरह पोषण कर रही है। लक्ष्मी देवी के पति लालू राम का भी स्वर्गवास हो गया है।
जयराम ने सार्थक कर दिया अपना नाम : लक्ष्मी
लक्ष्मी देवी ने बताया कि सूरजमणि गाड़ी चलता था। तीन जुलाई 2000 को हणोगी के पास एक अन्य वाहन ने उसकी गाड़ी को टक्कर मारी, जिस कारण वह वाहन समेत खाई में जा गिरा। हादसे में सूरजमणि के सिर पर चोट लगी। पहले कुल्लू फिर पीजीआइ चंडीगढ़ में इलाज करवाया। डाक्टर ने कहा कि सूरजमणि कोमा में है, इसे घर ले जाओ। वृद्धा का कहना है कि पति लालू राम की 11000 रुपये पेंशन व सूरजमणि की 4500 रुपये दिव्यांगता पेंशन के सहारे इसकी दवा का इंतजाम करती हूं। मुंह में लगी नाली चंडीगढ़ से मंगवानी पड़ती है। दवाओं के खर्च में ज्यादा पैसा लग जाता। हालात ठीक नहीं थी, इसलिए जब पता चला कि मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो सोचा कि उनको समस्या बताऊंगी। यह नहीं सोचा था कि वह घर आएंगे और मदद करेंगे। आज ऐसा प्रतीत हुआ कि जयराम ठाकुर ने सच में अपना नाम सार्थक कर भगवान बनकर मेरी मदद की।