मझींण चौक का नाम नहीं हो सका शहीद के नाम पर, बेटा लड़ रहा पिता को सम्मान दिलाने की लड़ाई
देश के लिए शहीद हुए पिता की कुर्बानी को सदियों तक समाज के बीच जीवित रखने के लिए एक 70 वर्षीय सेवानिवृत्त अध्यापक पिछले 10 साल से प्रयत्नशील है। यहां बात हो रही है ज्वालामुखी उपमंडल के तहत भड़ोली गांब के शहीद मान सिंह राणा की।
ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार पंडित। देश के लिए शहीद हुए पिता की कुर्बानी को सदियों तक समाज के बीच जीवित रखने के लिए एक 70 वर्षीय सेवानिवृत्त अध्यापक पिछले 10 साल से प्रयत्नशील है। लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं कि कोई उनकी सुनेगा और उनके शहीद पिता को वो सम्मान मिलेगा जो आज दिन तक नहीं मिला।
यहां बात हो रही है ज्वालामुखी उपमंडल के तहत भड़ोली गांव के शहीद मान सिंह राणा की। राणा 1965 के भारत पाक युद्ध में शहीद हुए थे।10 साल से उनका बेटा सुरेश कुमार राणा इस कोशिश में है कि उनके घर के पास के मझींण चौक का नाम उनके शहीद पिता के नाम किया जाए।
वर्ष 2012 में एनएच,पीडबल्यूडी द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र दिए जाने के बाद भी सुरेश राणा का सपना साकार नहीं हुआ है। सुरेश राणा बताते हैं कि उनसे जहां जहां बना वो गए। स्थानीय पंचायत ने इस बाबत प्रस्ताव पारित कर सरकार से अनुमति की गुहार लगाई । लेकिन अभी तक इस बारे सरकार की संस्तुति ना मिल पाने के कारण उनका अरमान पूरा होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने सथानीय विधायक से आग्रह किया है कि इस मामले को सरकार तक पहुंचाकर शहीद को सम्मान दिलवाने में सहयोग करें।
पीढ़ी दर पीढ़ी देश के लिए दी शहादत
सुरेश कुमार बताते हैं कि वो 32 साल तक शिक्षक के रूप में सेवाएं देने के बाद सेवानिबृत हुए हैं। वो खुद सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे लेकिन उनकी किस्मत में यह सब ना था।उनके दादा स्वर्गीय लक्ष्मण सिंह राणा प्रथम विश्व युद्ध में मुल्तान मोर्चे पर शहीद हए थे।जबकि ताया हरनाम सिंह द्वितीय विश्व युद्ध में देश के लिए कुर्वान हए थे। यूँ कह लीजिय ली सुरेश राणा का परिबार पीढ़ी दर पीढ़ी राष्ट्र के लिए कुर्वान होकर माटी का कर्ज चुका रहा है।
एनएचएआइ हमीरपुर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश राउत ने कहा कि एनएच, पीडब्लूडी द्वारा यदि अनुमति दी गयी है तो इसमें एनएचएआइ को कोई आपत्ति नहीं है।हम केबल बोर्ड लगाने की अनुमति दे सकते हैं।चौक का नामकरण का अधिकार हमारे पास नहीं है।जिस समय यह अनुमति मिली है तब यह एनएचएआइ में नहीं थी।जबकि अब एनएचएआइ के अधिकार क्षेत्र में है। हम शहीदों का सम्मान करते हैं। हमसे जो भी सहायता बनेगी करेंगे। लेकिन नामांकरण की मंजूरी सरकार का काम है।
सरकार तक पहुंचाएंगे मामला
ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने कहा कि यह मामला मेरे ध्यान में नहीं है। शहीद के बेटे कि आवाज सरकार तक पहुंचायेंगे। चौक का नामकरण उनके पिता के नाम करवाने की मांग उठाएंगे।
डीएसपी ज्वालामुखी तिलकराज शांडिल का कहना है कि कोरोना काल में सेवानिवृत्त शिक्षक सुरेश राणा ने पुलिस का भरसक सहयोग किया है। पिछले छह महीने से उन्होंने लाखों की प्रॉपर्टी पोलिस के सहयोग के लिए मुफ्त में दे रखी है। हम उन्हें पुलिस अधीक्षक कांगड़ा से सम्मानित करवायेंगे। उनकी मांग को लेकर भी अपनी तरफ से सरकार तक बात रखने का प्रयास करेंगे।