भरोसे योग्य नहीं चीन सरकार हमेशा रहा है पीठ पर वार
सीमा विवाद शहीदों की शहादत को निर्वासित तिब्बत सरकार का सलाम भारत की कार्रवाई से उत्साहित हैं तिब्बती समुदाय जागरण संवाददाता धर्मशाला पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण को लेकर भारत व चीन की सेनाओं के बीच हुई आपसी तनातनी के बाद भारतीय सैनिकों की शहादत को लेकर निर्वासित तिब्बत सरकार भी चुप नहीं है। चीन के सैनिकों की इस कार्रवाई को उनके द्वारा एक कायरता पूर्ण घटना करार दिया गया है। निर्वासित तिब्बती सरकार का यह मानना भी है कि चीन कभी भी भरोसे लायक नहीं रहा है। पीठ पीछे वार करना उसकी वर्षों पुरानी फितरत भी रही है। वर्षाें पहले चीन द्वारा तिब्बत पर अ
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत व चीन सेना के बीच हुई झड़प और भारतीय सैनिकों की शहादत पर निर्वासित तिब्बती सरकार भी चुप नहीं है। चीन सैनिकों की कार्रवाई को निर्वासित सरकार ने कायरतापूर्ण घटना बताया है। निर्वासित सरकार का मानना है कि चीन भरोसे योग्य नहीं है। पीठ पीछे वार करना उसकी फितरत है।
वर्षो पहले चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया और दलाईलामा सहित अन्य लोगों को जन्मभूमि छोड़कर भारत आना पड़ा था। भारत में रह रहे तिब्बती आजादी के लिए जंग लड़ रहे हैं, लेकिन अब सीमा पर हुई इस घटना से आहत हैं। निर्वासित सरकार ने भारतीय जवानों की शहादत को सलाम किया है। सीमा पर हुई इस झड़प के बाद मैक्लोडगंज में कोई बड़ी चहलकदमी तो नहीं रही, लेकिन चीन के सैनिकों की ओर से उठाए गए कदम की हर जगह निंदा हुई है।
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चीन का रवैया हमेशा ही सही नहीं रहा है। चीन ने सोची समझी साजिश के तहत यह कदम उठाया है और और इसका जवाब भारतीय सैनिकों को भी देना पड़ा है। बड़ी बात यह है कि चीन पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता है। चीन के सैनिकों ने मानसिक संतुलन खोकर इस घटना को अंजाम दिया है। अब विश्व समुदाय को पता चला है कि चीन ने हमेशा ही मनमानी ही की है। फिर वह तिब्बत की आजादी का मसला ही क्यों न हो।
आचार्य यशी फुंचोक, उपासभापति निर्वासित तिब्बती संसद