सांग्ये बोले-चीन शांति चाहता है तो करे दलाईलामा के दूतों से बातचीत

जागरण संवाददाता धर्मशाला निर्वासित तिब्बती सरकार के अध्यक्ष डॉ. लोबसांग सांग्ये ने कहा है कि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Sep 2020 06:11 PM (IST) Updated:Wed, 02 Sep 2020 06:11 PM (IST)
सांग्ये बोले-चीन शांति चाहता है तो  
करे दलाईलामा के दूतों से बातचीत
सांग्ये बोले-चीन शांति चाहता है तो करे दलाईलामा के दूतों से बातचीत

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : निर्वासित तिब्बती सरकार के अध्यक्ष डॉ. लोबसांग सांग्ये ने कहा है कि चीन वास्तव में शांति चाहता है तो पहले धर्मगुरु दलाईलामा के दूतों से बातचीत करे। मध्यमार्गीय दृष्टिकोण के आधार पर चीन सरकार को बातचीत करनी चाहिए। सांग्ये ने कहा, बीजिंग में आयोजित सातवीं केंद्रीय संगोष्ठी में शी चिनफिंग ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने पर जोर दिया है लेकिन इससे पहले वह तिब्बत के मसले पर भी उचित कदम उठाए। दलाईलामा के अथक प्रयासों से ही हमें लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था मिली है। तिब्बत की आजादी के लिए जंग जारी रहेगी। डॉ. सांग्ये बुधवार को निर्वासित तिब्बती सरकार के लोकतंत्र के 60 वर्ष पूर्ण होने पर निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

बकौल सांग्ये, तिब्बती समाज के अंदर जो लोकतंत्र है वह दलाईलामा की बदौलत है। दलाईलामा ने अल्पायु में ही तिब्बत के अध्यात्मिक नेता व प्रमुख के रूप में उत्तरदायित्व संभाला था लेकिन तिब्बत में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप के बाद उन्हें तिब्बत छोड़कर भारत आना पड़ा था। भारत में निर्वासन का जीवन व्यतीत करते हुए दलाईलामा ने तिब्बत की लोकतांत्रिक व्यवस्था बदलने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। इस दौरान दलाईलामा की दीर्घायु के लिए कामना भी की गई।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1959 में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने समूचे तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद धर्मगुरु दलाईलामा ने भारत की शरण ली थी। 2 सितंबर, 1960 को निर्वासित तिब्बती संसद के पहले सदस्यों ने औपचारिक रूप से शपथ ग्रहण की थी और भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार की लोकतांत्रिक व्यवस्था की शुरुआत हुई थी व इसके मुखिया दलाईलामा थे। वर्ष 2011 में दलाईलामा ने अपनी सभी राजनीतिक एवं प्रशासनिक शक्तियों का त्याग कर उन्हें स्वयं तिब्बती जनता की ओर से चुने जाने वाले नेताओं को सौंपा था। इस तरह की व्यवस्था आज भी जारी है।

chat bot
आपका साथी