हिमाचल में लहसुन का बंपर उत्पादन पर दाम न मिलने से किसान मायूस, जानिए क्‍यों नहीं मिल रहा उचित भाव

Himachal Garlic Farming हिमाचल में इस साल लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। सीजन के मध्य तक सोलन सब्जी मंडी में 3700 टन लहसुन पहुंच चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष 4500 टन लहसुन नवंबर तक मंडी में आ सकता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:29 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 07:46 AM (IST)
हिमाचल में लहसुन का बंपर उत्पादन पर दाम न मिलने से किसान मायूस, जानिए क्‍यों नहीं मिल रहा उचित भाव
हिमाचल में इस साल लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है।

सोलन, जागरण संवाददाता। Himachal Garlic Farming, हिमाचल में इस साल लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। सीजन के मध्य तक सोलन सब्जी मंडी में 3700 टन लहसुन पहुंच चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष 4500 टन लहसुन नवंबर तक मंडी में आ सकता है। बीते वर्ष पूरे सीजन में मात्र 3200 टन लहसुन मंडी में पहुंचा था। वहीं, इस साल अब तक 26 करोड़ रुपये का व्यवसाय हो चुका है। चिंता की बात यह है कि अच्छा दाम न मिलने से प्रदेश के किसान मायूस हैं।

सोलन सब्जी मंडी में शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी व कुल्लू जिला के किसान लहसुन लेकर आते हैं। प्रदेश में जून के अंत तक लहसुन का सीजन शुरू हो जाता है और नवंबर तक चलता है। हालांकि इन दिनों किसानों ने खेत से लहसुन निकाल पर स्टोर मेें रख दिया है। किसान लहसुन का रेट बढऩे का इंतजार कर रहे हैं। सर्दियां शुरू होते ही लहसुन की मांग देशभर में बढ़ जाती है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में दाम बढ़ सकता है। फिलहाल लहसुन 40 से 90 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है।

मार्केट कमेटी सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा का कहना है कि फिलहाल किसानों को लहसुन का सामान्य रेट मिल रहा है। बीते वर्ष की अपेक्षा रेट में इतना अधिक इजाफा नहीं हुआ है। वर्ष 2020 में लहसुन 110 रुपए प्रतिकिलो तक बिका था।

निर्यात बंद होने का भी असर

लहसुन का व्यापार करने वाले आढ़ती पदम पुंडीर का कहना है कि हिमाचल प्रदेश से प्रत्येक वर्ष करीब 1500 टन लहसुन श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान व मलेशिया जाता था। देश से बाहर लहसुन की आपूर्ति होने से किसानों को 150 रुपये प्रतिकिलो तक रेट भी मिला है, लेकिन कोरोना के बाद विदेश में हिमाचली लहसुन की आपूर्ति बंद हो गई है। इसका असर रेट पर भी पड़ा है। इस वर्ष भी किसानों को लहसुन का काफी कम रेट मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लहसुन की अधिकतर आपूर्ति उत्तर भारत में ही की जा रही है।

chat bot
आपका साथी