हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में ‘एकांत में शब्द’ पुस्तक पर हुई परिचर्चा, हिंदी पखवाड़ा संपन्न

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी की पंजाबी में अनुदित नव प्रकाशित पुस्तक ‘एकांत में शब्द’ पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण मां सरस्वती को पुष्प अर्पण दीप प्रज्ज्वलन कर हुआ है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 12:21 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 12:21 PM (IST)
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में ‘एकांत में शब्द’ पुस्तक पर हुई परिचर्चा, हिंदी पखवाड़ा संपन्न
डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी की पंजाबी में अनुदित नव प्रकाशित पुस्तक ‘एकांत में शब्द’ पर परिचर्चा आयोजित की गई।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी की पंजाबी में अनुदित नव प्रकाशित पुस्तक ‘एकांत में शब्द’ पर परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण, मां सरस्वती को पुष्प अर्पण, दीप प्रज्ज्वलन एवं डा. बृहस्पति मिश्र, अधिष्ठाता, भाषा स्कूल द्वारा स्वागत से किया गया।

विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के डा. प्रवीण कुमार ने अपने शोधात्मक व्याख्यान में कहा कि ‘एकांत में शब्द’ पुस्तक में बेदी जी के जीवन का व्यापक एवं सर्वांगीण अनुभव बखूबी व्यक्त हुआ है। ये कविताएं मनुष्य को अपने आप से मिलने की विधि देती हैं । परिचर्चा में उपस्थित विशेष अतिथि कुलाधिपति डा. हरमहेंद्र सिंह बेदी की धर्मपत्नी डा. गुरनाम कौर बेदी, सेवानिवृत्त प्राचार्या, गवर्नमेंट कॉलेज, अमृतसर ने डा. बेदी की दो कविताओं को पढ़ते हुए उनके रचनाकर्म से जुड़े अपने सुखद एवं व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने हिमाचल प्रदेश में बिताए दिनों की यादों के साथ हिंदी में अपनी रचना-यात्रा से अवगत करवाया। उन्होंने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मातृभाषा में अनकहे विचार भी सहज रूप से प्रकट हो जाते हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने इसे आनंदमय क्षण बताते हुए अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि डा. बेदी जी की ‘एकांत में शब्द’ की कविताएं भाव से परिपूर्ण हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को पांच सौ पुस्तकें भेंट करने के प्रस्ताव के लिए डा. बेदी का हृदय से आभार जताया।

विश्वविद्यालय में आयोजित हिंदी पखवाड़ा के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई देते हुए यह निर्देश दिया कि न केवल एक पखवाड़ा अपितु वर्ष भर इसी लगन से हिंदी की उन्नति के लिए कटिबद्ध होकर कार्य करने की आवश्यकता है। डा. बंसल ने अपने व्यक्तिगत विकास पर बल देते हुए कहा कि आप स्वयं से बात करें तो ज्ञात होगा कि आप दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। जब आप स्वयं को पहचान लेंगे तो आप लोक और समाज के लिए ज्यादा उपयोगी तौर पर योगदान कर सकेंगे।

इससे पूर्व हिंदी पखवाड़ा 2021 के दौरान आयोजित शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मियों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए आयोजित कुल पांच प्रतियोगिताएं - शिक्षकेत्‍तर कर्मियों हेतु हिंदी टिप्पण एवं प्रारूपण प्रतियोगिता, स्‍नातक विद्यार्थियों हेतु निबंध लेखन प्रतियोगिता, स्‍नातकोत्‍तर, पीजी डिप्‍लोमा, सर्टिफिकेट कार्यक्रम के विद्यार्थियों के लिए चित्र अभिव्यक्ति प्रतियोगिता, शोधर्थियों के लिए भाषण प्रतियोगिता तथा शैक्षणिक कर्मियों के लिए भाषण प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रमाणपत्रों से सम्मानित किया गया। समागम का संचालन पंजाबी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. नरेश कुमार द्वारा किया गया। इस मौके पर डा. नण्डूरी राजगोपाल, विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया । कार्यक्रम का समापन हिंदी विभाग के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के सामूहिक गान से हुआ।

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