दुष्‍कर्म और हत्‍या के मामलों पर शांता कुमार ने फ‍िर जाहिर की पीड़ा, कविता से किया व्‍यवस्‍था पर प्रहार

उत्‍तर प्रदेश के उन्नाव में दुष्‍कर्म के बाद युवती को जलाने की घटना पर भाजपा के वरिष्‍ठ नेता शांता कुमार काफी आहत हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Thu, 12 Dec 2019 02:01 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 04:25 PM (IST)
दुष्‍कर्म और हत्‍या के मामलों पर शांता कुमार ने फ‍िर जाहिर की पीड़ा, कविता से किया व्‍यवस्‍था पर प्रहार
दुष्‍कर्म और हत्‍या के मामलों पर शांता कुमार ने फ‍िर जाहिर की पीड़ा, कविता से किया व्‍यवस्‍था पर प्रहार

धर्मशाला, जेएनएन। उत्‍तर प्रदेश के उन्नाव में दुष्‍कर्म के बाद युवती को जलाने की घटना पर भाजपा के वरिष्‍ठ नेता शांता कुमार काफी आहत हैं। उन्‍होंने इस घटना पर सोशल मीडिया में कविता शेयर कर अपनी पीड़ा जाहिर की है। शांता कुमार टिवटर पर लिखा है उन्‍नाव की दर्दनाक घटना से मन आहत हो गया,

भावनाये यों अभिव्यक्त हो गईं। या तो मेरी समझ चुक गई, या फिर समझने को कुछ बचा ही नहीं। सोचता हूं और सोचता ही रहता हूं, कुछ भी समझ नहीं आता। उन्नाव की गरीब घर की बेटी, इज्जत लुटी दर-दर भटकती रही। कहीं किसी ने सुना नहीं, गरीब थी पर बहादुर थी। हिम्मत नहीं हारी, अकेली न्याय के मंदिर को खटखटाया और खटखटाती रही।

वहीं जा रही थी एक दिन, आग से जलाई गई। जलते-जलते चलती रही पहुंची कहीं, दिल्ली जाकर दम तोड़ दिया। जब इज्जत लुटी जली बेटी की लाश पहुंची घर पर, पूरा देश रोने लगा धिक्कारने लगा तब पूरी सरकार पहुंच गई उसके घर पर। दो मंत्री एक भगवे वस्त्रो में सजे संत सांसद 25 लाख चांदी के ठीकरे लेकर, क्या यही है मूल्य? एक गरीव घर की बेटी का, उसकी लाज का इज्जत का और जिंदगी का।

क्या इसी आजादी के लिए हजारों लाखों देशभक्तों ने फांसी के फंदों को चूमा था। सोचते सोचते चुक जाता हूं, थक जाता हूं। या तो मेरी समझ चुक गई या फिर समझने को कुछ बचा ही नहीं। सोचता हूं और सोच ही सकता हूं, कुछ भी समझ नहीं आता। शांता कुमार ने इस कविता के जरिये देशभर में हो रहे दुष्‍कर्म व हत्‍याओं पर चिंता जताई है। इसे सोशल मीडिया पर काफी लोगाें ने पसंद और साझा किया है।

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