Bird Flu का सबसे ज्‍यादा असर तिब्‍बत से हिमाचल आने वाले इस पक्षी पर, पौंग झील में गुजारता है सर्दियां

Bird Flu ALERT हिमाचल प्रदेश में पाए गए बर्ड फ्लू के बारे में यह पता नहीं लग पाया कि यह कहां से आया? मुर्गों से आया हो ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि पौंग बांध क्षेत्र में पोल्ट्री में कोई मौत नहीं हुई है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 08:08 AM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 08:48 AM (IST)
Bird Flu का सबसे ज्‍यादा असर तिब्‍बत से हिमाचल आने वाले इस पक्षी पर, पौंग झील में गुजारता है सर्दियां
तिब्बत के पठार से मध्यम एशिया तक पहुंचने वाला बार हेडेड गीज।

शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल प्रदेश में पाए गए बर्ड फ्लू के बारे में यह पता नहीं लग पाया कि यह कहां से आया? मुर्गों से आया हो, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि पौंग बांध क्षेत्र में पोल्ट्री में कोई मौत नहीं हुई है। वायरस के कारणों का पता लगाने के लिए वन्य प्राणी व पक्षी विशेषज्ञ प्रयास कर रहे हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश समेत कई स्थानों पर पहुुंचने वाले प्रवासी पक्षियों के रूट के संबंध में अब तक बड़ा शोध नहीं हो पाया है। अकेले पौंग बांध में ही हर साल एक साल से डेढ़ लाख पक्षी आते हैं। संभव है कि सरकार इस बारे में शोध आरंभ करे।

जानकारों के अनुसार, बार हेडेड गीज के बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध है। जैसे इसका प्रमुख रूट तिब्बत के पठार से मध्यम एशिया तक है। इस प्रजाति के पक्षी सबसे सुरक्षित जगहों पर प्रजनन कार्य करते हैं। सर्दी के मौसम में ऊपरी हिमालयी क्षेत्र से लेकर ये सिंधु नदी होते हुए जम्मू-कश्मीर प्रवेश करते हैं। वहां झीलें जम जाने से ठहराव संभव नहीं हो पाता और वहां से हिमाचल के पौंग बांध क्षेत्र में कुछ माह डेरा डालते हैं। कई प्रजातियां उत्तर भारत के दूसरे राज्यों की ओर भी रुख करती हैं। मार्च में हिमाचल आए विदेशी पक्षी फिर हिमालय के दर्रों से होते हुए वापस चले जाते हैं। इनकी एक तरफा उड़ान दो हजार किलोमीटर से भी अधिक रहती है। कई पक्षी साइबेरिया से आते हैं। इनकी उड़ान ज्यादा लंबी होती है।

विदेशी पक्षियों का दूसरा रूट ब्रहापुत्र से साउथ इंडिया का है। ये पक्षी असम में प्रवेश कर दूसरे राज्यों की ओर रुख करते हैं, लेकिन वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार हिमाचल आने वाले पक्षियों में से वापसी का रूट भारत के दूसरे राज्य नहीं हैं। 'हिमाचल के पक्षीÓ नामक पुस्तक के दो वॉल्यूम में राज्य में सभी तरह के पक्षियों की प्रजातियां 669 बताई गई हैं।

1980 के बाद पौंग में आए विदेशी पक्षी

1980 के बाद से पौंग झील में विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ था। पहले काफी कम पक्षी आते थे। इसे बेहद सामान्य लिया जाता था, लेकिन 1990 के बाद से यहां विदेशी पक्षियों की संख्या में एकाएक वृद्धि हुई। पहले कुछ प्रजातियां यहां पहुंचती थी, अब यह संख्या एक सौ से भी अधिक है। पिछले साल पहली बार हिमाचल में बर्ड फेस्टीवल आयोजित किया गया था। इस बार 31 दिसंबर को गणना नहीं हो पाई थी।

पंजाब क्षेत्र में भी पहुंचते हैं ये पक्षी

वन्‍य प्राणी विंग की प्रधान मुख्य अरण्यपाल अर्चना शर्मा का कहना है वायरस कहां से आया इसका पता नहीं चल पाया है। बार हेडेड गीज हिमाचल के अलावा पंजाब के हरीके क्षेत्र में भी आते हैं। यही पक्षी ज्यादातर मरे हुए पाए गए हैं। कई पक्षी राजस्थान के भरतपुर तक आते-जाते हैं। ये मध्य एशिया से भी आते हैं। कई समुद्री पक्षी भी हैं। ये भारत के समुद्री रास्तों से वापस जाते हैं। इनका रूट अब भी गहन शोध का विषय है।

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