कम समय में बेहतरीन विकल्प गेंदे की खेती

शारदाआनंद गौतम पालमपुर आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए युवाओं को गेंदे की खेती थोड़े समय मे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:11 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:11 AM (IST)
कम समय में बेहतरीन विकल्प गेंदे की खेती
कम समय में बेहतरीन विकल्प गेंदे की खेती

शारदाआनंद गौतम, पालमपुर

आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए युवाओं को गेंदे की खेती थोड़े समय में अच्छा लाभ दे सकती है। खेती के लिए खाली भूमि का प्रयोग कर युवा पर्यावरण को सहेजने में योगदान दे सकते हैं। साथ ही वन्य क्षेत्रों में भी इसे तैयार कर सकते हैं। कम समय में आमदनी बेहतर करने के लिए गेंदे की खेती को अच्छे विकल्प के रूप में युवा चुन सकते हैं। गेंदा सजावट ही नहीं बल्कि दवा बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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ये हैं गेंदे की प्रजातियां

गेंदे की तीन प्रजातियों का प्रयोग सबसे अधिक होता है। इनमें अफ्रीकन गेंदा जिसे टैंजेटिस इरेक्टा, फ्रेंच गेंदा टैंजेटिस पेटुला और जंगली गेंदा टैंजेटिस माइन्यूटा है। अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदे के फूलों का प्रयोग पार्टी, विवाह समारोहों, गाड़ियों को सजाने और धार्मिक कार्यक्रमों में होता है। इसे गमलों और क्यारियों में लगाकर घरों और पार्को की सुंदरता को चार चांद लगाए जा सकते हैं।

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यहां भी होता है इस्तेमाल

जंगली गेंदे का प्रयोग दवाएं बनाने में भी होता है। इसका सुगंधित तेल निकाला जाता है। गेंदें की पंखुड़ियों के रस को आंख की बीमारी और अल्सर के उपचार के लिए प्रयोग करते हैं। इसकी खेती करने से खेत में निमेटोड का प्रकोप भी कम हो जाता है। सजावट व धार्मिक कार्यो में प्रयुक्त होने के बाद भी गेंदे का प्रयोग अगरबत्ती व खाद बनाने में होता है। दक्षिण-पश्चिम हिमालय में एक हजार से अढ़ाई हजार मीटर तक ऊंचाई में यह प्रमुखता से होता है।

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इस मौसम में लगाएं

गर्मी के मौसम में फसल लेने के लिए इसे फरवरी में और बरसात में फसल तैयार करनी हो तो जून में और सर्दियों में जब त्योहारों और शादियों का सीजन जोरों पर रहता है तो सितंबर में इसके बीजों को लगाना चाहिए।

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यह जंगली पशुओं के खतरे को कम करने के साथ-साथ कम उर्वरता वाली भूमि के लिए उपयोगी नकदी फसल है। कृषि विवि इसकी खेती को बढ़ावा दे रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र मंडी ने इसमें उल्लेखनीय कार्य किया है। जिला मंडी के किसानों के लिए गेंदे के बीजों को उपलब्ध करवाया है। गेंदे से निकाले जाने वाला तेल पांच हजार रुपये प्रति लीटर की दर से बिकता है।

-डॉ. अशोक कुमार, कुलपति, हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर

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हिमाचल प्रदेश स्थानीय किसानों की ओर से उत्पादित 6.49 टन जंगली गेंदे के तेल के उत्पादन के साथ भारत का सर्वाधिक सगंध तेल उत्पादक राज्य बन गया है। जिला चंबा के सिहुंता क्षेत्र में किसानों का क्लस्टर बनाया है और यहां लोग गेंदे की खेती कर रहे हैं। संस्थान किसानों को तकनीकी मदद के साथ बाजार भी उपलब्ध करवाने में मदद कर रहा है।

-डॉ. संजय कुमार, निदेशक, हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर

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केस स्टडी

युवा मिलकर गेंदे की खेती कर सकते हैं। चार बीघा में एक किलो बीज बहुत होता है। एक किलो फूल जो अच्छी स्थिति में हों, उसके 18 से 20 रुपये मिलते हैं। जो सामान्य स्थिति में होगा उसका 10 से 15 और 8 से 10 रुपये दाम मिल जाता है। जंगली गेंदा से तेल निकाला जाता है जिसे सात ह•ार रुपये तक लेते हैं। युवा खाली भूमि को गेंदे की खेती के लिए उपयोग में ला सकते हैं।

-विकास, युवा उद्योगपति

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