दुनिया का हीरा, चेहरे पर पीड़ा
विश्व की दूसरी बेहतरीन पैराग्लाइडिंग टेकआफ साइट बीड़-बिलिंग दुनियाभर के पायलटों की नजर में हीरा है लेकिन स्थानीय पायलटों के चेहरों पर अब भी पीड़ा है। पायलटों को न तो मौसम की जानकारी उपलब्ध करवाने का प्रावधान है और न ही टेकआफ साइट व लैंडिंग साइट में चिकित्सा व रेस्क्यू टीम का प्रबंध किया जा सका है। रोजाना पायलट अपने ही रिस्क पर उड़ानें भरते हैं। मौसम की जानकारी के अभाव में अक्सर हादसे होते रहते हैं। दो दिन पहले भी यहां से फ्लाइंग के बाद दो पर्यटक और पायलट बाल-बाल बच गए। प्रतियोगिताओं के नाम पर बिलिंग से बीड़ तक करोड़ों रुपये अब तक सुविधाओं के नाम पर फूंक दिए गए हैं लेकिन जिन पायलटों के सहारे घाटी दुनिया में चमकी है उनकी सुविधा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं।
विश्व की दूसरी बेहतरीन पैराग्लाइडिंग टेकआफ साइट बीड़-बिलिंग दुनियाभर के पायलटों की नजर में हीरा है, लेकिन स्थानीय पायलटों के चेहरों पर अब भी पीड़ा है। पायलटों को न तो मौसम की जानकारी उपलब्ध करवाने का प्रावधान है और न ही टेकआफ साइट व लैंडिंग साइट में चिकित्सा व रेस्क्यू टीम का प्रबंध किया जा सका है। रोजाना पायलट अपने ही रिस्क पर उड़ानें भरते हैं। मौसम की जानकारी के अभाव में अक्सर हादसे होते रहते हैं। दो दिन पहले भी यहां से फ्लाइंग के बाद दो पर्यटक और पायलट बाल-बाल बच गए। प्रतियोगिताओं के नाम पर बिलिंग से बीड़ तक करोड़ों रुपये अब तक सुविधाओं के नाम पर फूंक दिए गए हैं, लेकिन जिन पायलटों के सहारे घाटी दुनिया में चमकी है, उनकी सुविधा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं।
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सिर्फ प्रतियोगिता के दौरान मिलती है सुविधा
बिलिंग में होने वाली पैराग्लाइडिग प्रतियोगिता के दौरान ही यहां रेस्क्यू, चिकित्सा टीमों व हेलीकाप्टर की व्यवस्था होती है। इसके अलावा अन्य समय यहां से हजारों पर्यटक टेंडम फ्लाइंग करते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं होता है।
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बीड़-बिलिंग एक कर्मचारी के सहारे
बीड़-बिलिग घाटी में पर्यटन गतिविधियों समेत स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी की जिम्मेदारी केवल एक कर्मचारी के सहारे है। यही कर्मचारी सारी व्यवस्था देखता है। कायदे के अनुसार यहां उड़ानें भरने से लेकर लैंडिग तक की देखरेख के लिए करीब पांच कर्मचारी होना जरूरी है।
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पर्यटन विभाग नहीं रखता सरोकार
बीड़-बिलिग घाटी में रोजाना हजारों पर्यटक पहुंचते हैं। बावजूद इसके पर्यटन विभाग की यहां पर कोई गतिविधि या उपस्थिति नजर नहीं आती। वैसे तो बिलिग रोड में एक पर्यटन सूचना केंद्र भी है लेकिन यह भी बिना कर्मचारियों के बंद रहता है। केवल यहां होने वाली पैराग्लाइडिग प्रतियोगिता के दौरान ही पर्यटन विभाग को घाटी की याद आती है।
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बिलिंग में वर्ल्ड कप व प्री वर्ल्ड कप के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सुविधाएं अब भी नहीं हैं। सरकार को यहां एक रेस्क्यू टीम व चिकित्सा टीम हर समय उपलब्ध करवानी चाहिए।
-सतीश अबरोल, अध्यक्ष बिलिंग वैली एयरो स्पोर्ट्स सोसायटी एवं होटल एसोसिएशन बीड़।
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पायलटों को तुरंत मौसम खराब होने की जानकारी मिल पाए, इसके लिए यहां व्यवस्था करवाई जा रही है। इसके अलावा तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने का भी प्रबंध किया जाएगा।
-सलीम आजम, एसडीएम बैजनाथ
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बीड़-बिलिग में अब तक हुए हादसे
2004 : चंडीगढ़ के एक पर्यटक की टेंडम फ्लाइंग के दौरान गिरने से मौत।
2009 : रूस के डेनिस व फायल ने उड़ान भरी थी और आदि हिमानी चामुंडा की पहाड़ियों में फंसकर घायल हुए थे।
2009 : रूस के फ्री फ्लायर उड़ान के बाद लापता, एक साल बाद उसका शव पहाड़ियों में भेड़पालकों को मिला था।
2012 : अमेरिका के 75 वर्षीय पैराग्लाइडर पायलट रोन व्हाइट की उतराला की पहाड़ियों में मौत।
2015 : उज्बेकिस्तान के पायलट कोनस्टेनटिन की लैंडिंग के दौरान गिरने से हुई थी मौत।
2015 : यूके की रूथ फ्री फ्लाइंग के दौरान गिरने से घायल हो गई थी।
2016 : पद्धर की घोघरधार की पहाड़ी पर बिजली लाइन से टकराने के बाद रूस के पायलट युडिन निकोलेय की मौत।
2018 : सिगापुर में कई साल तक एक कमांडो के रूप में सेवाएं देने वाले 53 साल के एनजी कोक चूंग की मौत।
2018 : ब्रिटिश पायलट मैथ्यू का 12 घंटे बाद पालमपुर की धौलाधार रेंज में 3650 मीटर की ऊंचाई से रेस्क्यू।
2018 : आस्ट्रेलिया के 50 वर्षीय पायलट संजय कुमार रामदास की जोगेंद्रनगर के डुगली गांव के समीप क्रैश लैंडिग से मौत।
2020 : फरवरी में टेंडम फ्लाइंग का प्रशिक्षण लेते समय छोटा भंगाल के 24 साल के युवक की मौत।
2020 : फ्रांस के एक पायलट की प्रशिक्षण के दौरान मौत। इसके अलावा भी यहां कई हादसे हो चुके हैं।
2021 : जनवरी में नई दिल्ली से संबंधित एक पायलट रोहित भदोरिया लापता। करीब तीन माह बाद शव मिला।
2021 : 20 सितंबर को दो टैंडम ग्लाइडर हादसे का शिकार होने से बचे। प्रस्तुति : मुनीष दीक्षित, बैजनाथ